मध्य प्रदेश पुलिस ने प्रस्ताव दिया है कि एक पूर्व बीजेपी विधायक से बिना इजाजत प्रदर्शन आयोजित करने के लिए  भोपाल के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट 23.76 लाख रुपये की वसूली करें। ये प्रदर्शन बीजेपी नेता सुरेंद्र नाथ सिंह ने बीते हफ्ते राजधानी भोपाल में करवाए थे। सिंह 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आरिफ मसूद से हार गए थे। उन्होंने भोपाल में 20 अगस्त को करीब एक दर्जन स्थानों पर प्रदर्शन करवाए थे।

मध्य प्रदेश में कथित तौर पर बिगड़ती कानून व्यवस्था और वेंडरों के दुकान हटाने के मुद्दे पर पर सिंह ने सीएम कमलनाथ के आधिकारिक आवास के घेराव की भी अपील की थी। सिंह और कुछ अन्य बीजेपी नेताओं को उसी दिन गिरफ्तार भी किया गया था। सिंह वही नेता हैं, जो जुलाई में कमलनाथ का ‘खून बहाने’ की धमकी भी दे चुके हैं।

20 अगस्त को हुए प्रदर्शन की वजह से पूरे शहर में जाम लगे। इसके अलावा, प्रदर्शनकारियों को सीएम आवास पहुंचने से रोकने के लिए सैकड़ों पुलिसवालों की तैनाती करनी पड़ी। भोपाल रेंज के आईजी योगेश देशमुख ने द इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि प्रस्ताव इसलिए भेजा गया क्योंकि उस दिन कानून-व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए सैकड़ों पुलिसवालों की तैनाती करनी पड़ी।

आईजी ने कहा, ‘पुलिसकर्मी विभिन्न इलाकों में अपने आधिकारिक ड्यूटी पर थे। उन्हें वहां से हटाकर तैनात करना पड़ा। इसका एक हर्जाना बनता है और जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।’ उन्होंने आगे कहा, ‘जब लोग अचानक से ट्रैफिक जाम में फंसते हैं तो उनकी फ्लाइट और ट्रेन छूटती है। छात्रों की परीक्षाएं छूट जाती हैं। वे प्रशासन को बुरा-भला कहते हैं, निराश होते हैं और आखिरकार काम पर लौट जाते हैं।’

देशमुख ने कहा कि पुलिस किसी तरह के प्रदर्शन के खिलाफ नहीं है। उनके मुताबिक, इजाजत लेकर प्रदर्शन करने से प्रशासन को ट्रैफिक डायवर्ट करने और दूसरे इंतजाम करने में मदद मिलती है। आईजी के मुताबिक, अगर जिलाधिकारी को सीआरपीसी के सेक्टर 133 के तहत मिले अधिकारों का पूरा इस्तेमाल होता है तो सिंह से जुर्माना वसूला जा सकता है।

वहीं, सिंह का कहना है कि पहले से ही सीएम के बंगले के घेराव की जानकारी कैसे दी जा सकती है क्योंकि इसकी इजाजत कोई नहीं देगा। उन्होंने कहा कि ऐसे कदमों से उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता और आगे भी बिना इजाजत प्रदर्शन करते रहेंगे। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, ‘उन्हें मुझे जेल में डालने दीजिए।’ उन्होंने पूछा कि क्या सुरक्षा कारणों से पीएम के दौरे के दौरान भी पूरे शहर को रोक नहीं दिया जाता।

उधर, भोपाल के कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने कहा कि वह पुलिस के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इसका मकसद अच्छा है। जिनकी वजह से नुकसान होता है, उन्हें मुआवजा देना ही चाहिए।’ हालांकि, वह उस कानूनी प्रावधान के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं, जिसके तहत पूर्व विधायक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उधर, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने चेतावनी दी कि अगर ऐसा कोई आदेश दिया गया तो पूरे राज्य में प्रदर्शन किए जाएंगे।

उधर, इस कदम का सत्ताधारी कांग्रेस के कुछ नेता भी विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस विधायक कुनाल चौधरी ने कहा कि हर किसी को अपना विचार रखने का हक है। उनके मुताबिक, लोकतंत्र में धरना और उस तरह के प्रदर्शन की इजाजत है और इसके लिए लोगों पर जुर्माना नहीं लगना चाहिए।