ओबीसी यादव समुदाय के दो भाइयों द्वारा बुधवार सुबह अपने घर के पास खुले में शौच करने के आरोप में दो दलित बच्चों की हत्या ने मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में जातिगत भेदभाव को फिर से उजागर कर दिया। गांवों में ओबीसी और एससी जातियां एक-दूसरे को छू भी नहीं सकती हैं। दलितों के संपर्क में आने पर बच्चों को हाथ धोने के लिए कहा जाता है। हत्या और दुश्मनी की जड़ में जाति को लेकर दूरी एक बड़ी वजह है। जाति को लेकर भेदभाव इतने गहरे हैं कि जरा सी बात पर खूनखराबा करने में भी संकोच नहीं होता है।

अंतिम संस्कार में ऊंची जाति वाले नहीं शामिल होते हैं :  दोनों बच्चों का अंतिम संस्कार भवखेड़ी में किया गया। इस दौरान ओबीसी समुदाय के लोग 200 मीटर दूर खड़े रहे। वे आपस में एक दूसरे के अंतिम संस्कार में नहीं शामिल होते हैं। वहां मौजूद ओबीसी समुदाय के एक बुजुर्ग ने बताया कि हम उसमें शामिल नहीं होते हैं। यहां यह एक परंपरा रही है। गांव वाले निचली जाति के अंतिम संस्कार में नहीं शामिल होते हैं। केवल वाल्मीकि समुदाय के लोग ही रहते हैं। हमारे समुदाय के लोग दूर से देखते हैं। अविनाश के पिता और रोशनी का सबसे बड़ा भाई मनोज वाल्मीकि बताते हैं कि जाति को लेकर भेदभाव यहां सामान्य बात है। यहां तक कि स्कूलों में भी हमारे बच्चों को अलग से बैठाया जाता है। उन्हें अपना बर्तन लेकर आने को कहा जाता है।

पुलिस ने एक आरोपी को मानसिक बीमार बताया : घटना के बाद पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इसके मुताबिक दोनों भाई हाकम यादव और रामेश्वर यादव ने 10 वर्षीय अविनाश और 12 वर्षीय रोशनी को लाठियों से पीट-पीटकर मार डाला। भाइयों को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और एससी / एसटी (अत्याचार निवारण) की धारा 3 (2)(v)के तहत गिरफ्तार किया गया है। पुलिस का कहना है कि घटना तात्कालिक विवाद की वजह से हुई। एक आरोपी मानसिक रूप से अस्थिर भी है।

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गांव खुले में शौच मुक्त घोषित है : भवखेड़ी में तीन सौ लोग रहते हैं। इनमें सबसे अधिक ओबीसी समुदाय के लोग हैं। इसके बाद जाटव समुदाय है। गांव में वाल्मीकि समुदाय के केवल दो घर हैं। मनोज का घर और उसके पिता कल्ला का घर है। ये लोग शौचालय साफ-सफाई का काम करते हैं। जिले के अधिकारियों का कहना है कि गांव को खुले में शौच मुक्त घोषित किया जा चुका है। कल्ला के घर में एक शौचालय है लेकिन मनोज के घर पर नहीं है। वह सरकारी जमीन पर फूस की एक झोपड़ी में लगभग 500 मीटर दूर रहता है। मनोज का कहना है कि वह शौचालय बनवाने में लगा था, लेकिन गांव के सरपंच उसे नहीं बनवाने दे रहे हैं। हालांकि सरपंच सुरजीत सिंह यादव ने आरोप को गलत बताया।

पीड़ित का आरोप, पुलिस अभियुक्त को बचा रही है : गांव के जिस स्कूल में अविनाश कक्षा 4 में और रोशनी कक्षा 6 में पढ़ती थी, वहां के ब्लैकबोर्ड को देखकर साफ पता चलता है कितने एससी और कितने ओबीसी हैं। प्राथमिक विद्यालय के प्रभारी किरण माझी ने कहा, “यादव छात्र वाल्मीकियों के साथ बैठने के लिए तैयार नहीं हैं।” शिवपुरी शहर के निजी स्कूल में पढ़ने वाला गांव का एक छात्र बताता है कि “जब भी हम निचली जाति के व्यक्ति को गलती से छू लेते हैं, तो हममें से कुछ लोग अपने हाथ धोते हैं। हम इसके बारे में न तो बात करते हैं और न ही झगड़ा, लेकिन यह एक आदत है, ” इस बीच, वाल्मीकि समुदाय के सदस्यों ने आरोप लगाया कि ओबीसी समुदाय के लोग हत्या में शामिल एक आरोपी को मानसिक रूप से अस्थिर बताकर उसे बचाना चाहते हैं।