कमलनाथ सरकार ने अपने मंत्रिमंडल के लिए अनौपचारिक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।  जिसे कोड ऑफ कंडक्ट नाम दिया गया है। इसके तहत मंत्रियों के लिए कई गाइडलाइंस जारी की गई हैं। साथ ही, मंत्रियों को मीडिया से संभलकर रहने की सलाह दी गई है। कांग्रेस का कहना है कि अनुशासन बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। वहीं, बीजेपी ने मंत्रियों पर भरोसा न होने की बात कहकर निशाना साधा।

ये हैं गाइडलाइंस : कांग्रेस मंत्रियों को इन गाइडलाइंस में कई तरह की सलाह दी गई है। इसके तहत जनता, पत्रकारों और सार्वजनिक कार्यक्रमों में व्यवहार करने का जिक्र है। मंत्रियों से कहा गया है कि वे संवेदनशील मामलों पर अपनी निजी राय देने से बचें। वहीं, पत्रकारों से बातचीत के लिए अपने या अपने स्टाफ के फोन से ही बात करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि कई बार फोन में ऑटोमैटिक रिकॉर्डिंग होती है, जिसका गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। इन गाइडलाइंस में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि मंत्रीगण किसी आपराधिक प्रवृति के व्यक्ति के साथ मंच को साझा न करें। सोशल मीडिया पर भी कोई चीज तब तक पोस्ट करें, जब तक उसके बारे में सही जानकारी न हो।

बीजेपी ने लिया आड़े हाथ : सरकार के जनसंपर्क मंत्री ने कहा कि इन गाइडलाइंस से सरकार में अनुशासन बना रहेगा। वहीं, बीजेपी ने कांग्रेसी मंत्रियों को आडे़ हाथों लेते हुए कहा कि उनकी सरकार में ऐसी कोई रोक नहीं थी। शिवराज सरकार में मंत्री रहे उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि पत्रकारों से बातचीत पर बैन लगाना लोकतंत्र का बहुत बड़ा मखौल है। लगता है मुख्यमंत्री जी को अपने ही मंत्रिमंडल पर भरोसा नहीं है। अगर आप भ्रष्ट नहीं हैं तो आखिर डर किस बात का है। बीजेपी में किसी मंत्री को मीडिया से बात करने की रोक-टोक नहीं थी, बल्कि मुख्यमंत्री शिवराज खुद मंत्रियों को मीडिया से बातचीत करने की सलाह देते थे।

बता दें मध्य प्रदेश में कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में आई है। ऐसे में कमलनाथ अपने मंत्रियों के बयानों और व्यवहार की वजह से विवादों में नहीं आना चाहते। कमलनाथ सरकार में ऐसा पहली बार नहीं है कि मंत्रियों को मीडिया से बातचीत पर रोक लगाई गई हो। इससे पहले भी आदेश जारी कर 28 में से केवल 7 मंत्रियों को सरकार ने मीडिया से बातचीत की इजाजत दी थी।