कानपुर में एक मदरसे ने फतवा जारी कर कहा है कि मरने के बाद शरीर दान करना इस्लाम में नाजायज है। मदरसे के इस फतवे का देवबंदी उलेमाओं ने समर्थन किया है। इस फतवे के समर्थन में देवबंदी उलेमाओं का कहना है कि अल्लाह के मुताबिक, इज्जत के साथ मुसलमान के मृत शरीर को सुपुर्दे-ए-ख़ाक करना चाहिए। मौलाना हनीफ बरकती का कहना है कि जो अल्लाह के बताए रास्ते पर चलने को तैयार नहीं उसे खुद को मुसलमान कहने का हक नहीं है। दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कानपुर में मेडिकल कॉलेज के छात्रों के शोध के लिए रामा डेंटल कॉलेज के महाप्रबंधक अरशद मंसूरी द्वारा अपना शरीर दान करने की घोषणा की गई। इसपर वहां के मदरसों ने आपत्ति जताते हुए इसे गैर इस्लामिक और नाजायज़ करार दिया है। मदरसों के इस पतवे पर असशद मंसूरी का कहना है कि, ‘मैं समाज की भलाई के लिए मरने के बाद अपना अंगदान करना चाहता हूं। मैं इस काम के लिए समाज के दूसरे लोगों से भी हिस्सा लेने की अपील करना चाहता हूं। लेकिन मुझे पता चला कि कुछ मौलानाओं ने इसके खिलाफ फतवा जारी कर दिया है।’
I've pledged my organs for the welfare of the society & also because I want the people from Muslim community to do the same. I came to know a fatwa has been issued against me for doing so. Fatwa says that donating organs is not allowed in Islam: Arshad Mansuri #Kanpur pic.twitter.com/wsA8Ycpsc9
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 16, 2018
अरशद मंसूरी ने कहा कि, ‘मुझे ये भी पता चला है कि फतवा जारी करने वाले मौलानाओं ने मुझे समाज से बेदखल करने की बात भी कही है। मेरी नजर में ये सारे मौलाना फर्जी हैं। मानवता को बचाना ही सबसे बड़ा धर्म है। मुझे धमकियों भरे फोन आ रहे हैं। मैंने पुलिस में शिकायत की लेकिन वहां से भी कोई मदद नहीं मिली है।’
Fatwa also urges people to boycott me from the society. In my opinion maulanas are fake. To serve mankind is the biggest religious duty. I have been getting threatening calls from unknown numbers. When I complained to #Kanpur police they did not take any action: Arshad Mansuri pic.twitter.com/tIBEp4RhwX
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 16, 2018
फतवा जारी करने वाले मौलाना हनीफ बरकती ने कहा कि हो सकता है अरशद मंसूरी का नाम मुसलमानों जैसा हो लेकिन ये इस्लाम को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। हनीफ बरकती ने साफ कहा है कि हमारे धर्म में अंगदान करना नाजायज़ है।
He asked me how is organ donation considered in Islam, I replied that it's banned. Someone who doesn't follow what Allah has said, then there're doubts on him being a Muslim. He could be a man who has just kept a Muslim name & is trying to defame Muslims: Maulana Hanif Barkati pic.twitter.com/Z8haT27eFs
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 16, 2018

