Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इन्हीं कयासों के बीच वरुण गांधी का बड़ा बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने प्रदेश की हाई-प्रोफाइल सीट अमेठी से आगामी लोकसभा 2024 चुनाव लड़ने की अटकलों का खंडन किया है। साथ ही कहा कि वो वहां से चुनाव नहीं लड़ेंगे। बता दें, यह सीट दशकों तक नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ रही है।

वरुण गांधी ने यह बात उन रिपोर्टों के जवाब में कही जिसमें कहा गया था कि वह कांग्रेस और समाजवादी पार्टी गठबंधन के बाहरी समर्थन के साथ अमेठी से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे। दोनों पार्टियों (सपा-कांग्रेस) ने सीट-बंटवारे के फॉर्मूले पर मुहर लगा दी और समझौते में कांग्रेस को अमेठी और रायबरेली दोनों सीटें मिली हैं।

अमेठी पर 15 साल तक वरुण के चचेरे भाई राहुल गांधी का कब्जा रहा, जो 2019 में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से हार गए थे। हालांकि, राहुल ने केरल के वायनाड में दूसरी सीट जीती और वहां से फिर से चुनाव लड़ने की संभावना है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमेठी के निवासियों का झुकाव अब वरुण गांधी की ओर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि राहुल अमेठी से चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं, वह सीट जो कभी उनके पिता ने 1980 में जीती थी।

वरुण गांधी कब-कब पार्टी लाइन से हटकर बोले-

चर्चा है कि वरुण गांधी को बीजेपी हाईकमान लोकसभा का टिकट नहीं देगी। क्योंकि 43 वर्षीय पीलीभीत सांसद लंबे समय से केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के खिलाफ कई मुद्दों पर आलोचनात्मक रुख अपनाते रहे हैं।

दिसंबर में वरुण ने हवाई अड्डों पर शराब की दुकानों की तर्ज पर रेलवे स्टेशनों पर शराब की बिक्री की अनुमति देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की थी। इससे पहले, अक्टूबर 2023 में उन्होंने अमेठी में संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करने को लेकर योगी आदित्यनाथ प्रशासन को आड़े हाथों लिया था। बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निलंबन पर रोक लगा दी, जिसकी भाजपा नेता ने प्रशंसा की।

2020-21 में वरुण एकमात्र भाजपा नेता थे जो किसान विरोध प्रदर्शन के समर्थन में सामने आए थे। उन्होंने यूपी के लखीमपुर खीरी में कथित तौर पर भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा द्वारा चलाए जा रहे वाहनों से कुचलकर मारे गए चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत के लिए ‘जवाबदेही’ की भी मांग की थी।

लखीमपुर खीरी पीड़ितों के लिए बोलने के कुछ घंटों बाद वरुण और उनकी मां मेनका गांधी को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति से हटा दिया गया था। उस समय, अटकलें लगाई जा रही थीं कि वरुण गांधी 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हो सकते हैं। लेकिन, सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने लोकसभा सांसद के रूप में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के लिए इंतजार करना चुना।

मेनका और वरुण 2004 में भाजपा में शामिल हुए। वरुण ने अपना पहला चुनाव 2009 में पीलीभीत से लड़ा। 2013 में उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया।

2021 में कई लोगों ने उनके रुख को उसी साल जुलाई में केंद्रीय कैबिनेट विस्तार से बाहर किए जाने से जोड़ा था। वरुण पहले भी बीजेपी से नाराज हो चुके हैं। वह कथित तौर पर 2017 के यूपी चुनाव से पहले अपनी पार्टी द्वारा नजरअंदाज किए जाने से नाराज थे।

हाल ही में वरुण को पूर्व प्रधानमंत्रियों चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव और हरित क्रांति के वास्तुकार एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित करने के सरकार के फैसले पर पीएम मोदी को रीट्वीट करते देखा गया था।

इंदिरा गांधी की तारीफ कर चुके वरुण गांधी

दिसंबर में भाजपा सांसद वरुण गांधी ने पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की प्रशंसा करते हुए कहा था कि एक “सच्चा नेता” जीत का “एकमात्र श्रेय” नहीं लेता, क्योंकि उन्होंने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जीत का जिक्र किया था।

नवंबर में चचेरे भाई राहुल और वरुण ने उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर में मुलाकात की। जिससे 2024 के आम चुनावों से कुछ महीने पहले एक बार फिर भाजपा सांसद के कांग्रेस पार्टी में जाने की अटकलें तेज हो गईं थी। तब वरुण ने कहा था कि वह निजी दौरे पर वहां हैं। हालांकि, जनवरी 2023 में राहुल ने वरुण के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों को खारिज कर दिया था।

2004 में सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल के लिए अमेठी सीट छोड़ दी और रायबरेली चली गईं। वहीं सोनिया गांधी ने लोकसभा चुनाव छोड़कर राज्यसभा का रुख किया है। चर्चा है कि उनकी बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा के रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं।