जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर अहमदाबाद महानगर पालिका एक अहम फैसला लेने की तैयारी में है। जिसके अनुसार दो बच्चों के बाद फ्री डिलीवरी की सुविधा नहीं मिलेगी, बल्कि तीसरे प्रसव के दौरान सभी तरह के भुगतान करने होंगे। बताते चलें कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इस तरह का कोई नियम नहीं बनाया गया है। अहमदाबाद नगर निगम (AMC) में सत्तारूढ़ भाजपा के नेता भास्कर भट्ट ने नागरिक निकाय द्वारा संचालित अस्पतालों में गर्भवती महिला के लिए मुफ्त सुविधाओं को सीमित करने का प्रस्ताव दिया है।
अहमदाबाद महानगर पालिका, ‘हम दो, हमारे दो’ के फार्मूले को आगे बढ़ाते हुए एक नीतिगत फैसला करने जा रही है, इसके तहत मनपा द्वारा संचालित अस्पतालों में तीसरे बच्चे के जन्म के दौरान प्रसव का पूरा चार्ज देना होगा। नियम बनाने के लिए आदेश जारी किए जा चुके हैं। यदि प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो अहमदाबाद मनपा ऐसी पहली महानगर पालिका होगी, जहां इस तरह के नियमों को लागू किया जाएगा।
इस फैसले पर सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है। कांग्रेस ने पार्षदों इस कवायद को मुस्लिम विरोधी करार देते हुए इसका विरोध किया है। कांग्रेस पार्षद ग्यासुद्दीन ने कहा कि अब मुस्लिम समाज भी समझदार हो गया है, वह दो ही बच्चे पैदा करता है। वहीं बीजेपी का कहना है इस फैसले को धर्म के चश्मे से देखने की जरूरत नहीं है। मनपा का कोई इरादा किसी धर्म विशेष को निशाना बनाना नहीं है, यह नियम सभी पर लागू होगा। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण आज पूरे देश की जरूरत है।
यह पहला मौका नहीं है जब अहमदाबाद मनपा द्वारा इस तरह की तैयारी की जा रही है, 1987 में भी इसी तरह की पहल की जा चुकी है। उस समय जयेंद्र पंडित मनपा के चेयरमेन हुआ करते थे। मनपा द्वारा वीएस अस्पताल का संचालन किया जाता था और इसी को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया था। जिसके अनुसार यदि गर्भवती महिला के दो या दो से ज्यादा जीवित बच्चे हैं तो प्रसव के बाद फैमिली प्लानिंग का ऑपरेशन कराना होगा, अगर ऐसा करने की अनुमति नहीं है तो इलाज का पूरा भुगतान करना होगा।
तेजी से बढ़ती जनसख्या भारत के लिए एक गंभीर समस्या बनी हुई है। जिसको देखते हुए देश के कई हिस्सों में जनसंख्या को लेकर कानून बनाने की मांग की जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी जनसंख्या नियंत्रण कानून की जबरदस्त तैयारी की जा रही है।
