Odisha Lightning Death: ओडिशा में आकाशीय बिजली कहर बरपा रही है। पिछले पांच सालों में बिजली गिरने से करीब 1418 लोगों की जान चली गई है। इस बात की जानकारी गुरुवार को रेवेन्यू व डिजास्टर मैनेजमेंट मिनिस्टर सुरेश पुजारी ने विधानसभा को दी है। बीजेपी विधायक टंकधर त्रिपाठी के सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि ये मौतें 2020-21 और 2024-25 के बीच हुई हैं।

पुजारी ने पूरे आंकड़े भी विधानसभा के पटल पर रखे। उन्होंने बताया कि 2020-21 के दौरान बिजली गिरने से 339 लोगों की जान गई थी। वहीं साल 2021-22 में यह आंकड़ा 296 था। साल 2022-23 में 306 लोगों की जान चली गई थी। 2023-24 में 272 और 2024-25 में 205 लोगों की जान गई। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा मौतें तो मयूरभंज में हुई हैं। यहां पर 134 मौतें हुई हैं।

सबसे कम लोगों की मौतें कहां पर हुईं?

इसके बाद बालासोर का नंबर आता है। यहां पर 110 लोगों की जान गई। गंजम में 104 और क्योंझर में 100 लोगों की मौतें हुईं। पुजारी ने कहा कि बौध जिले में सबसे कम 11 मौतें बिजली गिरने से हुईं। उन्होंने बताया कि बिजली गिरने से लोगों की जान बचाने के लिए वन विभाग ने 2023-24 में एक प्लान तैयार किया था। इसको साल 2024-25 में लागू किया गया। उन्होंने बताया कि 23 लाख ताड़ के पेड़ लगाने के लिए वन विभाग को 7.59 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। मंत्री ने बताया कि अब तक 51 वन प्रभागों में 19 लाख ताड़ के पेड़ लगाए जा चुके हैं।

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परिजनों को दिया गया मुआवजा

ताड़ के पेड़ बिजली गिरने के दौरान नेचुरल कंडक्टर के तौर पर काम करते हैं और यह जानमाल के नुकसान को रोकते हैं। जून 2015 में राज्य सरकार ने बिजली गिरने को आपदा घोषित किया था। डिजास्टर रिसपांस फंड के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, बिजली गिरने से मरने वालों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की राशि दी गई है।

ओडिशा में हुआ प्रदर्शन

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कांग्रेस नेताओं ने गुरुवार को सदन से अपने सहयोगियों के निलंबन और महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कथित बढ़ोतरी के विरोध में ओडिशा विधानसभा का घेराव करने की कोशिश की। इसके बाद पुलिस के साथ झड़प हो गई। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश की और कुर्सियां ​​फेंकी। पढ़ें मौसम का लाइव ब्लॉग