Terror of Poisonous Ants in Odisha: गांवों में आपने भी घरों में चीटियां देखी ही होंगीं। गांवों के घरों में चीटियों का पाया जाना एक सामान्य बात होती है। कई तरह की चीटियां घरों में पाई जाती है। ओडिशा के पुरी में एक गांव में लाल चीटिंयों ने आतंक ही मचा दिया है। ब्राह्मणशाही नामके इस गांव में लोग इन जहरीली चीटियों के आंतक से परेशान होकर पलायन करने के लिए विवश हो गए हैं। बारिश के बाद इस गांव पर चीटियों के धावे से गांव खाली हो चुका है। इस गांव में एक मेडिकल टीम भी भेजी गई है साथ में वैज्ञानिक टीम भी लगी है वो इस बात की जांच कर रही है कि आखिर क्या बात है जो इतनी चीटियां एक साथ गांव में आ गईं।
गांव में पहुंचे मेडिकल टीम के अधिकारियों ने बताया कि चंद्रदेईपुर पंचायत क्षेत्र के में बाढ़ के बाद जैसे-जैसे पानी कम हुआ उन्होंने बताया कि बाढ़ का पानी उतरना शुरू हुआ ब्राह्मणशाही गांव में एक साथ ही लाखों लाल चीटियों ने हमला कर दिया जिसके बाद ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (ओयूएटी) और जिला प्रशासन के वैज्ञानिकों ने अभियान शुरू किया। घरों, सड़कों, खेतों और पेड़ों सहित गांव के हर नुक्कड़ पर चींटियों के झुंड ने हमला कर दिया। चीटियों के इस हमले से सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कई लोगों को इन चींटियों ने काट लिया है जिससे उनकी त्वचा पर सूजन और जलन होने की शिकायतें आ रही हैं।
इंसान ही नहीं जानवरों को भी इन चीटियों ने नहीं बख्शा
इंसान ही नहीं इन चीटियों ने घरों में पाई जाने वाली छिपकलियों और घरेलू जानवरों को भी नहीं छोड़ा है। स्थिति इतनी भयावाह हो चुकी है कि ग्रामीण जहां भी उठते- बैठते हैं या फिर जहां सोते हैं वहां वो इन जहरीली चीटियों से बचने के लिए कीटनाशक पाउडर छिड़कना पड़ता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि गांव के तीन परिवार इन जहरीली चीटियों के खतरे से भाग गांव छोड़कर भाग गए। अब वो लोग अपने रिश्तेदारों के यहां रह रहे हैं।
ग्रामीणों ने सुनाई चीटियों के आतंक की दास्तां
एक ग्रामीण ने पीटीआई से बातचीत में बताया, ‘उन्होंने इसके पहले कभी ऐसा होते हुए नहीं देखा जबकि पहले भी गांव में कई बार बाढ़ आ चुकी है।’ वहीं उसी गांव की रेणुबाला दास ने बताया, “चींटियों ने हमारे जीवन को दयनीय बना दिया है। हम ठीक से खा-पी, सो या बैठ नहीं पा रहे हैं। चींटियों के डर से बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।”
झाड़ियों में पानी भर जाने की वजह से गांव में आई चीटियां!
ओडिशा के इस गांव के दौरे पर गए ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन ने गांववालों को चीटियों के आतंक से राहत पहुंचाने के लिए अभियान चलाया है। ओयूएटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक संजय मोहंती ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि गांव चारो ओर से तालाब, नदी और झाड़ियों वाले जंगल से घिरा हुआ है। बाढ़ की वजह से इन चीटियों के रहने की जगहों पर पानी भर गया है जिसकी वजह से चीटियों ने गांव की ओर पलायन किया है।
रानी चीटियों को ढूंढ कर मारना होगा
संजय मोहंती ने आगे बताया कि इस गांव में लगभग 100 परिवार रहते हैं। उन्होंने कहा, “हालांकि, हम उस जगह का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं जहां से चींटियां आ रही हैं। एक बार जगह मिल जाने के बाद, इसके दो मीटर के दायरे में कीटनाशक का छिड़काव किया जा सकता है।” उन्होंने आगे बताया, “इस खतरे को खत्म करने के लिए, हमारा प्राथमिक उद्देश्य रानी चींटियों को ढूंढना और मारना है। ये चीटियां पूरे इलाके में लाल चीटियों के विस्फोट की जिम्मेदार हैं।”
चीटियों के सैंपल लैब भेजे गए
मोहंती ने आगे बताया कि चींटियों के चरित्र का पता लगाने के लिए उनके सैंपल लैब भेजे गए हैं। वहीं स्थानीय खंड विकास अधिकारी रश्मिता नाथ ने बताया कि इस तरह की चींटियां क्षेत्र में पहली बार नहीं आईं हैं। ये पहले भी यहां मौजूद थीं लेकिन किसी ने ये नहीं सोचा था कि ये अपने आतंक से गांव के सामान्य जन-जीवन को प्रभावित कर सकती हैं।
कीटनाशक छिड़काव के आदेश
अधिकारी ने बताया कि चीटियों से निजात पाने के लिए गांव की झाड़ियों की सफाई और कीटनाशकों के छिड़काव के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि मेडिकल टीम भी गांव में चीटियों से प्रभावित लोगों के इलाज के लिए पहुंच चुकी है। एक वैज्ञानिक ने बताया कि साल 2013 में ऐसी घटना एक बार हो चुकी है जब फैलिन चक्रवात के बाद जिले के सदर प्रखंड के डंडा गांव में जहरीली लाल चीटियों ने आतंक मचाया था।