मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और शहडोल वन मंडल में 2021 से 2023 के बीच 43 बाघों की मौत की पड़ताल के लिए गए विशेष जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कई तरह की कमियों को उजागर किया है। इसमें संभावित शिकार के मामलों में अपर्याप्त जांच, पोस्टमार्टम के दौरान चूक और इलाज में लापरवाही जैसी वजहें शामिल हैं। 2021 से 2023 के बीच बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 34 मौतें हुई थीं जबकि शहडोल वन मंडल में 9 मौतें हुई थीं। राज्य टाइगर स्ट्राइक फोर्स के प्रभारी रितेश सरोठिया की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने 14 मई को कार्यवाहक प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) और 15 जुलाई को प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख (पीसीसीएफ-एचओएफएफ) को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

रिपोर्ट में कई बड़ी लापरवाही दिखीं

रिपोर्ट के अनुसार, बाघों की मौत के कम से कम 10 मामलों में ठीक से जांच नहीं हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि “उच्च अधिकारियों और वन रेंज अधिकारियों में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में रुचि की कमी थी। इसकी वजह से पांच में से केवल दो मामलों में ही गिरफ़्तारी हुई। इसमें मौत के अप्राकृतिक कारणों का पता चला। साथ ही शरीर के अंग जब्त किए गए।” इसमें कहा गया है कि “बाघ के शवों से गायब शरीर के अंगों (34 मामलों में से 10) को बरामद करने में उदासीनता” दिखाई गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कई मामलों में जहां बाघ बिजली के झटके से मृत पाए गए, वहां जांच में “मोबाइल फोरेंसिक, सीडीआर, इलेक्ट्रिक ट्रिप डेटा जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण साक्ष्यों का अभाव था और राजस्व और निजी भूमि स्वामित्व के बारे में जानकारी निकालने का कोई प्रयास नहीं किया गया।”

17 मामलों में जांच ही नहीं की गई थी

इसमें यह भी कहा गया है कि 17 मामलों में पूरी तरह से जांच के बिना बाघों की मौत के पीछे आपस में लड़ाई को वजह बताई गई। दोनों क्षेत्रों में बाघों की बड़ी संख्या में मौतों की जांच करने के लिए राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन के आदेश पर एसआईटी का गठन किया गया था।

राज्य में अवैध शिकार के मामलों पर याचिका दायर करने वाले प्रसिद्ध वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वे रिपोर्ट के साथ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। उन्होंने कहा, “अदालत को दिए गए अपने जवाब में राज्य ने दावा किया है कि अवैध शिकार के मामले नियंत्रण में हैं। यह रिपोर्ट उच्च अधिकारियों द्वारा की गई कई अनियमितताओं पर प्रकाश डालती है।”

कार्यवाहक पीसीसीएफ सुभरंजन सेन ने कहा कि विभाग के कामकाज में “कुछ कमियां” हैं, लेकिन “रिपोर्ट इस तथ्य की ओर भी इशारा करती है कि इन जंगलों में कोई संगठित गिरोह काम नहीं कर रहा है। हम कर्मचारियों की कमी का सामना कर रहे हैं। बीटीआर में उप निदेशक का पद अभी भी खाली है और अन्य अधिकारी दोहरी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, सर्वोच्च बाघ संरक्षण निकाय) की टीम ने हमें सिफारिशें दी हैं और हम उन पर काम कर रहे हैं।”