चंबल के बीहड़ से होकर गुजरने वाली पांच नदियों में से एक क्वारी नदी का पानी मध्यप्रदेश के दंबग किसानों द्वारा लंबे समय से रोके जाने से यहां पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मची है । इटावा और आसपास के किसान मानते हैं कि क्वारी नदी सूख गई है मगर हकीकत में इस नदी के पानी पर मध्यप्रदेश के दबंग किसानों ने डाका डाल रखा है। आलम यह है कि आम इंसान तो इस संकट से परेशान है ही, पशु-पक्षी भी पानी की कमी के कारण मौत के मुंह मे समा रहे हैं।
क्वारी नदी उन पांच नदियों में से एक है जिनके नाम पर इटावा में पंचनदा होने की पहचान मिली हुई है। क्वारी नदी सूख जाने से इटावा की पंचनदा की पहचान सिर्फ कागजों में सिमट करके रह गई है।

मध्यप्रदेश के भिंड जिले मे जगह-जगह अवैध रूप से पानी रोक लिए जाने से क्वारी नदी की धार थम गई है। लिहाजा भिंड जिले की सीमा में दो दर्जन से अधिक गांवों की ढाई हजार बीघा से अधिक कछारी खेती चौपट पड़ी है। अब पोरसा के लेकर परा तक लोग जगह-जगह स्टेप डैम, बोरीबंदान बनाकर न केवल पानी रोक लेते हैं, बल्कि इसका पंपिंग सेट के माध्यम से अंधाधुंध दोहन भी कर रहे हैं। सिंडौस के किशन सिंह राजावत का कहना है कि क्वारी नदी की धारा को मध्यप्रदेश में कई स्थानों पर रोक लिया जाता है। क्वारी के सूखने से जहां चंबल सेंचुरी क्षेत्र के पशु-पक्षी प्यास से तड़प रहे हैं, वहीं किसान नदी के किनारे होने वाली जायद की फसलों से वंचित हैं। यह नदी मध्य प्रदेश के जिले के शिवपुरी बेरागढ़ तहसील की बेरागढ़ पहाड़ियों से निकली है। यूपी में सोने का पुरा, उखरैला, चंद्रहंसपुरा, भोया, पसिया, रामकिला, विंडवाखुर्द, हनुमंतपुरा, सिंडौस, खौड़न, कुंअरपुर कुर्छा, अजीत की गढिया, जाहरपुरा, पहलन, बिडौरी, रीतौर की मड़ैया सहित सौ से अधिक गांवों के पशु भी इसी नदी में पानी पीते हैं।