उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह अपने समर्थकों के साथ बुधवार (3 अगस्त, 2022) को एसडीएम कुंडा की अदालत के सामने धरने पर बैठे हैं। वो मस्जिदनुमा गेट को प्रशासन से हटाने की मांग कर रहे हैं। यह गेट शेखपुर गांव में बना हुआ है।
राजा भइया के पिता उदय प्रताप सिंह का कहना है कि शेखपुर गांव में सड़क के आर-पार मस्जिदनुमा गेट बना दिया गया। उसके नीचे से हिंदुओं को गुजरना पड़ता है। बता दें कि एक अगस्त को उन्होंने हिंदुओं से इस बात को लेकर मुख्यमंत्री योगी को ट्वीट करने की अपील भी की थी।
उदय प्रताप सिंह का कहना है कि मस्जिदनुमा गेट को न हटाए जाने के चलते वो धरने पर बैठे हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि गेट को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने गेट को नहीं हटवाया तो धरना जारी रहेगा।
कुंडा इलाके का शेखपुर कई सालों से मोहर्रम के त्योहार को लेकर सुर्खियों में रहता है। उदय प्रताप सिंह को प्रशासन हर बार नजरबंद करता है। इस बार 31 तारीख से शुरू मोहर्रम की 10वीं जो आगामी 9 तारीख को है, लेकिन विवाद एक तारीख से खड़ा हो गया है।
बता दें, 10 दिन कुंडा के शेखपुर में लखनऊ-प्रयागराज हाइवे पर सड़क के दोनों किनारों पर पताकाएं लगाई जाती हैं। वहीं शेखपुर से भदरी को जाने वाली सड़क पर एक अस्थायी गेट बोर्ड भी लगाया गया है, जिसमें उर्दू में लिखा हुआ है कि इसी सड़क से भदरी महल को जाते हैं। इसी गेट को लेकर उदय प्रताप सिंह ने ट्वीट कर आपत्ति दर्ज की थी।
एएसपी पश्चिमी रोहित मिश्रा शेखपुर का कर चुके हैं निरीक्षण
तीन दिन पहले एएसपी पश्चिमी रोहित मिश्रा शेखपुर आए थे। उन्होंने ताजियादारों से बात करके कोई नई परंपरा नहीं शुरू करने की बात कही थी। इसके बाद भी शेखपुर आशिक में मदरियापुर रोड पर नया गेट बना दिया गया। क्षेत्रीय लोगों में चर्चा है कि मोहर्रम के त्योहार पर यह नई परंपरा शुरू की गई है। इसके पूर्व जो भी गेट मोहर्रम के बनाए जाते थे, दोनों तरफ बल्ली लगाकर उस पर चांदनी लपेटी जाती थी, इस तरह का गेट नहीं बनाया जाता था।
मोहर्रम के दिन उदय प्रताप सिंह को प्रशासन कर देता है नजरबंद
बता दें कि शेखपुर में लगभग आठ साल से मोहर्रम के दिन हनुमान मंदिर पर भंडारे का आयोजन किया जाता है। जिसको लेकर प्रशासन सतर्क रहता है। यह भंडारा राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह के नेतृत्व में आखिरी बार 2016 में कराया गया था। इसके बाद से भंडारे पर रोक लगा दी गई। हर साल मोहर्रम के दिन उदय प्रताप सिंह और उनके करीबियों को प्रशासन नजरबंद कर देता है।