इरम सिद्दीकी
मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर निकले जुलूस पर पथराव के बाद हिंसा भड़क उठी थी और कई दिनों तक यहां हालात तनावपूर्ण बने हुए थे। हालांकि, इस हिंसा के महीनों गुजर जाने के बाद भी तनाव कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। इसका दर्द बयां करते हुए जाकिर अली कहते हैं, “पहले देश का बंटवारा हुआ, अब गली और मोहल्लों का बंटवारा हो रहा है। इससे होगा कुछ नहीं, बस नफरत और बढ़ेगी।”
खरगोन दंगे के दो महीने बाद, कई मायनों में यह एक शहर बदला हुआ नजर आ रहा है। कई इलाकों में दीवारें या बैरिकेड्स अब अलग-अलग समुदाय बहुल क्षेत्रों में नजर आती हैं। इन्हीं में एक इलाके बनियावाड़ी में दर्जी का काम करने वाले जाकिर अली रहते हैं। खरगोन हिंसा में एक शख्स की मौत हुई थी और तीन लोग घायल हुए थे। इस हिंसा के बाद पुलिस ने 62 प्राथमिकी दर्ज कीं, जिसमें लगभग 150 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 200 से अधिक पर मामला दर्ज किया गया था।
आरसीसी की दीवारें एक हिंदू बहुल जमीदार मोहल्ले को बाकी मुस्लिम-बहुल खसखासवाड़ी से अलग करती है, जो बेहद संकरी गलियों से होकर गुजरती है। रूपाली भवसारे का दीवार खड़ी किए जाने पर कहना है, “उस रात, दंगाइयों ने खसखास-वाड़ी से जमीदार मुहल्ले में प्रवेश किया था। हमारी मदद करने वाला कोई नहीं था। पुलिस ने हमें खुद को बचाने के लिए कहा क्योंकि वे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में व्यस्त थे।” वहीं, सरला का कहना है कि दीवार खड़ी हो जाने से औरतें और बच्चे आजादी से घूम सकते हैं।
इसके बाद अकबर बागवान हैं, जिनका परिवार जमींदार मुहल्ले में एकमात्र मुस्लिम है। अकबर का घर दीवार के ठीक पास ही में है। इस पर उनका कहना है, “जब दीवार बन रही थी तो मैंने प्रशासन को यह बात बताई। साथ ही कि मेरे पिता को लकवा मार गया था और उन्हें घर से आने-जाने के लिए बाइक पर नहीं ले जाया जा सकता था। अगर उन्हें दीवार बनानी हो तो मेरे घर को खसखासवाड़ी की तरफ रहने दें, लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी।” सलीम खान ने इस दीवार के खिलाफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का रुख किया है। इस मामले में सुनवाई होनी बाकी है।
इसी तरह, सराफा बाजार के पास भटवाड़ी मोहल्ला 1.5 किमी दूर है। यहां एक बैरिकेड उस संकरी गली को ब्लॉक करता है जो इस क्षेत्र को मुस्लिम बहुल तड़वी से जोड़ती है। जाकिर अली (38) का कहना है कि उनका परिवार तीन पीढ़ियों से यहां रह रहा है। वह अब कचरा वैन तक पहुंचने या दूध लेने के लिए भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैक्योंकि बैरिकेड्स के कारण गाड़ियों की आवाजाही संभव नहींं है।