केरल में एक महिला आईपीएस अधिकारी को सत्तारूढ़ सीपीआईएम के पार्टी ऑफिस में तलाशी लेकर राज्य सरकार के क्रोध का सामना करना पड़ा है। अधिकारी ने एक पुलिस स्टेशन पर हमले में कथित तौर पर शामिल पार्टी कार्यकर्ता को पकड़ने के लिए सीपीआईएम दफ्तर की तलाशी ली थी। केरल कैडर की आईपीएस अधिकारी चित्रा टेरेसा जॉन के इस एक्शन बाद राज्य सरकार ने उनसे तिरुवनंतपुरम डीसीपी (कानून व्यवस्था) का अतिरिक्त चार्ज तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया। अधिकारी ने 24 जनवरी को राज्य की सत्ता पर काबिज पार्टी की जिला कमेटी ऑफिस की तलाशी ली थी। दरअसल 23 जनवरी को तिरुवनंतपुरम पुलिस स्टेशन पर सीपीआईएम कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर पत्थर फेंके थे, जिन्हें खोजने के लिए वह वहां पहुंची थीं।

इसके अलावा राज्य गृह मंत्रालय का कार्यभार देखने वाले मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 2015 बेच की आईपीएस अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। वहीं सीपीएमआई के स्टेट सचिव कोडियरी बालाकृष्णन ने कहा कि किसी भी अधिकारी को राज्य सरकार को अस्थिर करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। जानना चाहिए कि आईपीएस अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेश देने के बाद विपक्ष ने सदन में खूब हंगामा किया। विपक्ष के नेता और कांग्रेस विधायक रमेश चेन्निथला ने कहा कि अधिकारी ने खुफिया सूचना के आधार पर सीपीआईएम ऑफिस में रेड मारी थी। उन्होंने आगे कहा, ‘पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई कर सरकार संदेश दे रही है कि सत्तापक्ष का पार्टी ऑफिस कानून से ऊपर है। पार्टी राज्य में अराजकता का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रही है।’

राज्य विधानसभा में इस मुद्दे पर एक प्रतिवेदन का जवाब देते हुए विजयन ने कहा कि आम तौर पर राज्य में पार्टी कार्यालयों के दफ्तरों पर ऐसी छापेमारी नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक समाज में यह जरूरी है कि पार्टी कार्यालयों के सुचारू कामकाज के लिए अनुकूल माहौल बनाया जाए और ऐसे संस्थानों की सुरक्षा को सामान्य रूप से पुलिस के कर्तव्य के तौर पर देखा जाता है। विजयन ने कहा, ‘‘कुछ निहित स्वार्थों का राजनीति में शामिल लोगों की छवि खराब करने की तरफ झुकाव होता है और ऐसे मौके आए हैं जब कुछ लोग इन प्रवृत्तियों का शिकार हुए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक लोकतांत्रिक समाज ऐसे नजरिए को दुरुस्त करके ही आगे बढ़ सकता है।’’ (भाषा इनपुट)