करलाल हॉल खासतौर पर रसिकों से खचाखच भरा हुआ था। मौका था, इंद्र सभा नृत्य नाटिका की पेशकश। इसे वरिष्ठ कथक नृत्यांगना उमा शर्मा की शिष्याओं ने पेश किया। नृत्य नाटिका इंद्र सभा की परिकल्पना उमा शर्मा ने की थी। इसे उन्होंने पहली बार सत्तर के दशक में पेश किया था। करीब छह वर्ष पहले भी उन्होंने इस नाटिका को पेश किया। रसिकों के आग्रह पर फिर से भारतीय संगीत सदन के कलाकारों के सहयोग से पेश किया। नृत्य नाटिका इंद्र सभा की रचना अमानत अली खां ने 1852 में की थी। इसे पहली बार लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह ने केसर बाग के चौराहे पर पेश किया था। इस संदर्भ में, कथक नृत्यांगना उमा शर्मा बताती हैं कि मुझे डॉ मुल्कराज आनंद और डॉ सुरेश अवस्थी ने नृत्य नाटिका की स्क्रिप्ट दी थी। उनके सहयोग और गुरु शंभू महाराज के सहयोग से मैंने इसे सन 1973 में किया था। इसके संगीत की रचना प्रतिष्ठित गायिका नैना देवीजी ने की थी।
फिलहाल, इस बार गायक इमरान खां ने उसका नवसृजन किया है। उनके साथ गायिका स्नेह लता ने गायन में अच्छा सहयोग दिया। नौटंकी, मुजरा और कथक के माध्यम से नृत्य नाटिका को पिरोया गया था। इसमें ठुमरी, दादरा, गजल और कव्वाली पर नृत्यांगनाओं ने भावों को बैठक व महफिल के अंदाज में पेश किया। प्रस्तुति का आरंभ सूत्रधार के प्रवेश से होता है। यहीं वाजिद अली के पात्र के रूप में कलाकार का पर्दापण होता है। फिर, नृत्यांगनाओं का समूह गणेश वंदना, गणेश परण, कथक की तकनीकी बारीकियों को पेश करता है।
इंद्र के दरबार के दृश्य के साथ नृत्य नाटिका नौटंकी शैली में आगे विस्तार पाता है। इंद्र के राज सिंहासन पर आसीन होने के बाद, एक-एक करके रंग-बिरंगी परियों का प्रवेश होता है। नृत्यांगना नायिका लाल परी के भावों को रचना गाती हूं नाचना सदा काम है मेरा में दर्शाती हैं। बसंती परी के भाव को होली की ठुमरी श्याम मोसे खेलो ना होरी के जरिए नृत्यांगना पेश करती है। एक अन्य नृत्यांगना नीलम परी के भावों को निरुपित करती है।
परंपरागत कथक और लोक नाट्य शैली नौटंकी में पिरोई गई, नृत्य नाटिका इंद्र सभा का साक्षी होना, वास्तव में, उस परंपरा का साक्षी होना था, जो सदियों से कला के माध्यम से समाज और सरोकार में रची-बसी है। कथक नृत्यांगना ने सैकड़ों कलाकारों के सहयोग से इस प्रस्तुति को पूरे उमंग से पेश करने का जज्बा दिखाया, इसके लिए वह बधाई की पात्र हैं। उन्होंने युवा कलाकारों को इस प्रस्तुति से जोड़कर सराहनीय काम किया है। युवाओं ने भी अपनी मेहनत और लगन से सदी पुरानी नृत्य नाटिका को पुनर्जीवित किया। इसके लिए उन्हें भी धन्यवाद दिया जाना चाहिए। उम्मीद है, उमा शर्मा युवा कलाकारों को भविष्य में भी इसी तरह प्रेरित करती रहेंगी।
