राजस्थान हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के लिए ड्राइवर के तौर पर काम करने वाले राजेंद्र गहलोत ने अपनी 31 सालों की नौकरी में शायद ही सोचा होगा कि उनकी बेटी भी कभी जज बनेगी। कार्तिका गहलोत ने वो कर दिखाया है, जिसकी कल्पना शायद उनके पिता ने भी नहीं की होगी। कार्तिका ने राजस्थान न्यायिक सेवा परीक्षा में 66वीं रैंक हासिल की है और इसके साथ ही वह जिला जज के पद पर सेलेक्ट हो गई हैं।
पिता हाईकोर्ट के चीफ जज के ड्राइवर थे, इसलिए उनका वकालत की दुनिया से एक संबंध रहा। शायद यही वजह थी कि कार्तिका का रुझान आरजेएस परीक्षा की तरफ बढ़ा। अपने पिता के माध्यम से और चीफ जस्टिस के कुशल मार्ग दर्शन से कार्तिका आज यह मुकाम हासिल करने में कामयाब हुई हैं। कार्तिका का कहना है कि 31 सालों से पिता चीफ जज के ड्राइवर थे, जिस वजह से उन्हें काले कोट और वकालत के माहौल का शौक हो गया था।
कार्तिका के लिए यह कामयाबी हासिल करना इतना आसान नहीं था। उनके रास्ते में कई समस्याएं आईं। परीक्षा के लिए तैयारी के दौरान का एक किस्सा याद करते हुए उन्होंने बताया कि जोधपुर में एक कोचिंग सेंटर में वह तैयारी कर रही थीं। अचानक से कोचिंग सेंटर बंद हो गया और जयपुर शिफ्ट कर दिया गया। कार्तिका ने बताया कि कोचिंग सेंटर के लोगों से बात की तो उन्होंने कहा कि या तो जयपुर आ जाओ या फिर ऑनलाइन क्लासेज ले लो। कार्तिका ने जब उनसे अपनी फीस वापस मांगी तो उन्होंने कहा कि अगर कार्तिका ने उनके संस्थान से कोचिंग नहीं ली तो उनकी भारतीय न्यायपालिका में जाने की कोई संभावना नहीं है।
कार्तिका जोधपुर के सेंट ऑस्टिन सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ी हैं। उन्होंने मैथ्स और कॉमर्स के साथ अपनी पढ़ाई की। इसके बाद, कार्तिका ने जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से बीबीए.एलएलबी की 5 साल की डिग्री ली। कार्तिका की उम्र 23 साल है।
कार्तिका ने कोरोना काल के दौरान परीक्षा के लिए तैयारी शुरू की थी। उन्होंने कहा कि उस दौरान माहौल काफी नेगेटिव था, ऐसे में खुद को पॉजिटिव रखकर तैयारी करना काफी मुश्किल था। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, अपने टीचर्स और उनका सही मार्ग दर्शन करने वालों को दिया है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में आकर वह लोगों को उनके अधिकारों के लिए कानूनी रूप से जागरूक करना चाहती हैं।