श्रीराम सेना के विरोध के बाद बाद मैंगलुरु के सेंट थॉमस आइडेड हायर प्राइमरी स्कूल मैनेजमैंट ने शनिवार को अरबी और उर्दू कक्षाओं पर अस्थायी रोक लगा दी है। मैनेजमेंट ने श्रीराम सेना द्वारा 30 जुलाई को किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद ये फैसला लिया। श्रीराम सेना के करीब 50 कार्यकर्ता स्कूल में विरोध प्रदर्शन के लिए इकट्ठे हुए थे. उनका आरोप था कि स्कूल ‘जबरदस्ती’ बच्चों को अरबी और उर्दू पढ़ा रहा है। इन कार्यकर्ताओं ने स्कूल के पदाधिकारियों से हर शनिवार सुबह 9.15 से 10 बजे तक कक्षा छह और सात के बच्चों को ‘जबरदस्ती’ अरबी और उर्दू पढ़ाने के बारे में पूछताछ की।

श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं के दबाव की वजह से स्कूल के हेडमास्टर ने तत्काल प्रभाव से इन कक्षाओं को रोकने का आश्वासन दिया। स्कूल के सूत्रों ने समाचार एजेंसी पीटीआी को बताया कि मैनेजमेंट ने बच्चों के अभिभावकों और गांववालों के साथ बैठक की और शनिवार को फैसला किया कि अब ये कक्षाएं नहीं होंगी। श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं ने स्कूल वालों को धमकी दी थी कि अगर ये कक्षाएं नहीं रुकीं तो वो विरोध प्रदर्शन करेंगे। स्कूल परिसर में “जबरदस्ती” घुसने के लिए अब तक श्रीराम सेना के 16 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है। शुक्रवार को श्रीराम सेना के कर्नाटक इकाई प्रमुख महेश कुमार ने आरोप लगाया कि स्कूल जबरदस्ती अरबी पढ़ा रहे है जबकि सरकार की तरफ से ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया है।

कुमार ने दावा किया कि श्रीराम सेना ने पुख्ता जानकारी मिलने के बाद कार्रवाई की और वो इन भाषाओं को “जबरदस्ती” पढ़ाने की कड़ी निंदा करती है क्योंकि इससे बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ सकता है। श्रीराम सेना पहले भी विवादों में घिर चुका है। जनवरी 2009 में श्रीराम सेना के करीब 40 कार्यकर्ताओं ने मैंगलुरु के एक पब पर धावा बोलकर वहां मौजूद महिलाओं और पुरुषों की पिटाई की थी। श्रीराम सेना का दावा था कि पब में मौजूद महिलाएं भारतीय संस्कारों की अवहेलना कर रही थीं। घटना में घायल दो महिलाओं को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। श्रीराम सेना की कार्रवाई के विरोध में कुछ महिलाओं ने पिंक चड्ढी आंदोलन चलाकर श्रीराम सेना के प्रमुख प्रमोद मुतालिक को पीली चड्ढियां भेजी थीं।