तमिलनाडु को 21 से 30 सितंबर के बीच रोजाना 3000 क्यूसेक पानी छोड़ने के कावेरी सुपरवाइजरी कमेटी के आदेश को निराशाजनक और ‘आघात’ बताते हुए कर्नाटक सरकार ने आज कहा कि वह कल उच्चतम न्यायालय में फैसले को चुनौती देगी। उधर तमिलनाडु के किसानों ने निराशा जताते हुए कहा कि यह मात्रा बहुत कम है। राज्य के राजनीतिक दलों ने भी इस पर निराशा प्रकट की। गृहमंत्री जी परमेश्वर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘समिति का फैसला हमारे लिए निराशाजनक है। कल हम इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे रहे हैं। सुपरवाइजरी कमेटी का फैसला राज्य के लिए एक और आघात है।’

उन्होंने कहा, ‘‘हम बार-बार अन्याय का सामना कर रहे हैं। मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला करेंगे।’ परमेश्वर ने कहा, ‘‘अगर आ रहे फैसले हमारे साथ बार-बार अन्याय करेंगे तो हमारी राज्य सरकार को कुछ फैसला लेना होगा।’ तमिलनाडु को छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा पर दोनों राज्यों के बीच सहमति नहीं बन पाने पर केंद्रीय जल संसाधन सचिव और समिति के अध्यक्ष शशि शेखर ने आज कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया कि 21 से 30 सितंबर तक रोजाना तमिलनाडु को 3000 क्यूसेक पानी दिया जाए।

इसके बाद कर्नाटक में कई स्थानों से और खासतौर पर मंड्या जिले से प्रदर्शन की खबरें आने लगीं। प्रदर्शनकारियों ने बेंगलूरू-मैसूरू राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया। राज्य सरकार ने हालात के मद्देनजर कड़े सुरक्षा इंतजाम किये हैं। उधर तमिलनाडु आॅल फार्मर्स फेडरेशन्स के अध्यक्ष पी आर पांडियान ने कहा कि आदेश निराशाजनक है।

उन्होंने चेन्नई में पीटीआई से कहा, ‘‘जितना पानी छोड़ने का आदेश दिया गया है वह सांबा की फसल की तैयारी के लिए भी पर्याप्त नहीं होगा।’ पीएमके अध्यक्ष रामदॉस ने कहा कि न्याय के नाम पर यह तमिलनाडु के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि इस आदेश का तमिलनाडु के किसानों के लिए कोई मतलब नहीं है।