कर्नाटक में सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल पेश करते हुए आलैंड (Aaland) स्थित लाडले मुशक दरगाह (Ladle Mushak Dargah) को शिवरात्रि पर हिंदुओं और मुस्लिमों दोनों के लिए खोल दिया गया है। कालाबुरगी जिले के एक वक्फ न्यायाधिकरण ने उर्स और उत्सव मनाने की अनुमति दे दी है। हालांकि दोनों पक्षों को अलग-अलग समय पर वहां आना होगा। उपायुक्त यशवंत गुरुकर के अनुसार, मुसलमानों को शनिवार को उर्स उत्सव के लिए सुबह 8 से दोपहर 12 बजे तक का समय दिया गया है, जबकि हिंदुओं को शिवरात्रि पूजा के लिए दोपहर 2 से शाम 6 बजे के बीच समय आवंटित किया गया है। एंडोला मठ (Andola Mutt) के सिद्धलिंगा स्वामी (Siddalinga Swamy) और हिंदू समुदाय के 14 अन्य लोगों को दरगाह के अंदर पूजा करने की अनुमति दी जाएगी।
सुरक्षा के लिए 2 किमी के दायरे में 1,050 कर्मियों होंगे तैनात
दरगाह में दोनों पक्षों को अनुमति मिलने के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी गई है। पुलिस अधीक्षक ईशा पंत ने कहा कि आलैंड (Aaland) के 2 किमी के दायरे में 1,050 कर्मियों को तैनात किया गया है और 12 चेक पोस्ट स्थापित किए गए हैं। क्षेत्र में प्रवेश करने वाले वाहनों की चौबीसों घंटे तलाशी की जाएगी। पुलिस ने सख्त हिदायत दी है कि वक्फ न्यायाधिकरण के आदेश के अनुसार शाम छह बजे के बाद किसी को भी दरगाह पर आने की अनुमति नहीं होगी।
दरगाह का नाम 14वीं शताब्दी के सूफी विद्वान के नाम पर रखा गया है जो अपने दार्शनिक विचारों के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां 15वीं शताब्दी के संत राघव चैतन्य की कब्र भी है। यह कई वर्षों से मुसलमानों और हिंदुओं के लिए एक साझा पूजा स्थल रहा है। हालांकि पिछले साल इसी दरगाह को लेकर सांप्रदायिक तनाव हो गया था। उस दौरान वहां नमाज पढ़ने को लेकर विवाद हो गया था। उस समय दरगाह पर झगड़े के दौरान एक पक्ष के लोगों पर दूसरे पक्ष के लोगों पर पथराव करने और हथियार दिखाने का आरोप लगाया गया था।
इससे पहले नवंबर 2021 में हिंदुत्व संगठन के कुछ लोगों ने शिवलिंग की बेअदबी करने की घटना के बाद उत्सव के लिए राघव चैतन्य (Raghava Chaitanya) की मूर्ति को “शुद्ध” करने की मांग की थी। इसको लेकर वहां तनाव हो गया था।