कांग्रेस की कर्नाटक सरकार का पहला कैबिनेट विस्तार हो गया है। शनिवार को कुल 24 मंत्रियों को शपथ दिलवाई गई। अब कौन से मंत्री को क्या विभाग मिला, इसकी जानकारी भी सामने आ गई है। सीएम सिद्धारमैया ने अपने पास वित्त मंत्रालय रखा है, वहीं डीके शिवकुमार को सिंचाई और बेंगलुरु सिटी डेवलपमेंट विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सिद्धारमैया-डीके के पास क्या मंत्रालय?
कर्नाटक सरकार में गृह मंत्रालय का जिम्मा जी परमेश्वर को दिया गया है, वहीं एसच के पाटिल को लॉ एंड पार्लियामेंट अफेयर्स का मंत्री बना दिया गया है। इसी तरह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे को विकास और पंचायती राज पोर्टफोलियो मिला है। वैसे सीएम सिद्धारमैया ने वित्त के अलावा अपने पास कैबिनेट मामले, पर्सनल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म और सूचना विभाग, इंटेलिजेंस भी रखा है।
34 मंत्री, जातियों का ध्यान और सियासी समीकरण
वैसे इस बार कांग्रेस ने अपने कैबिनेट विस्तार में हर जाति का भी पूरा ध्यान रखा है, जिसका जितना असर, उसे उतना प्रतिनिधित्व देने की कोशिश रही है। इसी वजह से कैबिनेट में आठ लिंगायत, पांच एससी, 7 एसटी, तीन ओबीसी, 6 मुस्लिम, दो ब्राह्मिण, एक जैन और एक क्रिशचियन को शामिल किया गया है। यहां ये समझना भी जरूरी है कि इस बार कर्नाटक सरकार में कुल 34 मंत्री रहने वाले हैं, यहां भी आठ ने तो पहले ही शपथ ले ली थी, शनिवार को 24 अन्य मंत्रियों का भी शपथ ग्रहण हो गया।
चुनौती था ये कैबिनेट विस्तार
अब ये कैबिनेट विस्तार उस समय हुआ है जब राज्य में काफी रस्साकशी के बाद मुख्यमंत्री का चयन हुआ है। इसी रस्साकशी की वजह से माना जा रहा था कि कैबिनेट विस्तार के दौरान भी विवाद खड़ा हो सकता है। लेकिन बातचीत के जरिए जमीन पर स्थिति को काबू में रखा गया और बिना ज्यादा बवाल के 24 मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह हो गया। अभी के लिए जिस फॉर्मूले पर ये सरकार चल रही है, उसमें ढाई साल के लिए तो सत्ता सिद्धारमैया के पास है, लेकिन बाद में डीके शिवकुमार को दे दी जाएगी।
कर्नाटक का जनादेश क्या रहा?
कर्नाटक नतीजों की बात करें तो इस बार कांग्रेस ने अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हुए 135 सीटें जीतीं, वहीं बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ और उसका आंकड़ा महज 66 पर रुक गया। इसी तरह जेडीएस इस बार सिर्फ 19 सीटें जीतने में कामयाब हो पाई। आंकड़े बताते हैं कि इस चुनाव में कांग्रेस को हर वर्ग का वोट मिला, हर समुदाय ने पार्टी को पहली पसंद माना और इसी वजह से जीत का मार्जिन भी इतना ज्यादा बड़ा रहा।