चाय और कॉफी के बागानों के लिए जाना जाने वाला कर्नाटक का चिकमगलुरु शहर इन दिनों काफी चर्चाओं में है। चिकमगलुरु सभी राजनीतिक दलों की खास सीटों की लिस्ट में है। फिलहाल यह सीट भाजपा के पास है और सीटी रवि यहां से विधायक हैं। कांग्रेस ने इस बार एचडी थम्मैया को मैदान में उतारा है।
चिकमगलूर विधानसभा क्षेत्र उडुपी चिकमंगलूर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2018 के आंकड़ों के अनुसार, चिकमगलुरु निर्वाचन क्षेत्र में कुल 2,08,432 मतदाता हैं। इनमें 1,04,357 पुरुष, 1,03,937 महिलाएं और 23 अन्य वोटर्स हैं।
2018 के चुनाव में सीटी रवि ने कांग्रेस को 26 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था
2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सी टी रवि ने कांग्रेस के शंकर बी एल को 26314 वोटों के मार्जिन से हराया था। इससे पहले 2013 के चुनाव में भी भाजपा ने ही यह सीट जीती थी। 2008 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने इस सीट पर 15,084 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।
सीट पर लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय की आबादी
इस सीट पर लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों की आबाद रहती है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने वोक्कलिगा समुदाय को लुभाने के लिए सीटी रवि को फिर से मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने लिंगायत उम्मीदवार एचडी थम्मैया पर दांव लगाया है। थैम्मया ने विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थामा है। वह साल 2007 से भाजपा के साथ थे और पार्टी में बड़ी जिम्मेदारियां संभालीं।
जब 1978 में इंदिरा गांधी ने उडुपी चिकमंगलूर लोकसभा सीट से जीता था चुनाव
चिकमगलुरु विधानसभा क्षेत्र उडुपी चिकमंगलूर लोकसभा सीट के अंदर आता है। इस लोकसभा सीट से कांग्रेस का गहरा नाता है। यह वही सीट है, जिस पर 1978 में चुनाव लड़कर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अस्तित्व की लड़ाई लड़ी थी। इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी ने यहां से चुनाव लड़ा था। इन चुनाव में ‘अपना वोट अपनी छोटी बेटी को दो’ उनका एक नारा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में उडुपी चिकमंगलूर लोकसभा (एमपी) सीट से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार शोभा करंदलाजे ने यह सीट जीती थी। उन्होंने जनता दल (सेक्युलर) के प्रमोद माधवराज को 349599 मतों के अंतर से हराया था।