Kanwar Yatra News: कांवड़ यात्रा से पहले उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने ढाबों, रेस्टोरेंट्स और खाने-पीने की सभी दुकानों के लिए नया फरमान जारी किया है। इसके तहत कांवड़ यात्रा के रूट्स की दुकानों के मालिकों को अपना लाइसेंस पंजीकरण से लेकर नाम और आईडी तक को प्रदर्शित करना होगा। सरकार का कहना है कि जो ऐसा नहीं करेगा, वो दुकानें और ढाबे बंद कर दिए जाएंगे। इसके अलावा सरकार की तरफ से 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा।
दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने मंगलवार को कहा कि यह कदम लाखों श्रद्धालुओं को स्वच्छ और सुरक्षित भोजन सुनिश्चित करने के लिए सख्ती से लागू किया जाएगा। सरकार द्वारा कहा गया कि सरकार खाद्य सुरक्षा की निगरानी के लिए एक व्यापक निगरानी अभियान भी शुरू करेगी। बता दें कि इस बार कांवड़ यात्रा 11 जुलाई से शुरू होगी।
सरकारी ने जारी किया आदेश
इस मामले में स्वास्थ्य सचिव और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन आयुक्त डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि कांवड़ यात्रा रूट पर पड़ने वाले सभी होटलों, ढाबों, फूड स्टॉल और विक्रेताओं को अनिवार्य दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि हर खाद्य विक्रेता को अपने परिसर में उपभोक्ताओं को दिखाने के लिए अपने लाइसेंस या पंजीकरण प्रमाणपत्र की एक साफ प्रति प्रमुखता से प्रदर्शित करनी चाहिए।
आदेश में कहा गया कि छोटे विक्रेताओं और फेरीवालों को भी एक फोटो पहचान पत्र और पंजीकरण प्रमाणपत्र रखना चाहिए और उसे प्रदर्शित करना चाहिए। होटल, भोजनालय, ढाबे और रेस्तरां को स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाला ‘खाद्य सुरक्षा डिस्प्ले बोर्ड’ लगाना चाहिए ताकि ग्राहकों को पता चले कि खाद्य गुणवत्ता के लिए कौन जिम्मेदार है। अनुपालन न करने वालों पर खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 55 के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिसमें 2 लाख रुपये तक का जुर्माना शामिल है।
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सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने की कही बात
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि लाइसेंस को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि फोटोग्राफ और वह आवेदन जिसके साथ विक्रेता ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, उसे बाहर चिपकाया जाना चाहिए। विक्रेता का नाम अलग से उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि यह आदेश बेहतर पारदर्शिता के लिए है।
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स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि हम सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए आदेश जारी कर रहे हैं। हमारा आदेश है कि दुकान का नाम, लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाएं। यह पारदर्शिता का मामला है, क्योंकि हम पिछले साल 4 करोड़ की तुलना में इस साल लगभग 7 करोड़ कांवड़ यात्रियों की उम्मीद कर रहे हैं। ऐसे में कानून और व्यवस्था सबसे महत्वपूर्ण है और खाद्य विभाग प्रासंगिक उपाय कर रहा है।
पिछले साल भी उठा था विवाद
गौरतलब है कि 2024 में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों ने विक्रेताओं को अपना नेम प्लेट प्रदर्शित करने के लिए अनिवार्य कर दिया था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया था और कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि कांवड़ यात्रियों को “शुद्ध शाकाहारी” भोजन परोसे जाने को सुनिश्चित करने के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 या स्ट्रीट वेंडर्स अधिनियम, 2014 के तहत ऐसे निर्देश जारी किए जा सकते हैं।
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