उत्तर प्रदेश के कानपुर से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों का कहर बढ़ता ही चला जा रहा है। यहां पर कहीं न कहीं मच्छर मासूमों को अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं और उनके दिमाग पर सीधा असर डाल रहे हैं जिससे मासूमों की जानें खतरे में आ रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग इसकी मुख्य वजह कानपुर के डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्र में बैठने वाले झोलाछाप डॉक्टरों को मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि मच्छरों से होने वाली एईएस बीमारी का बचाव है लेकिन अगर इन बच्चों को सही समय पर इलाज मिल जाए। मच्छरों के प्रकोप के बाद जैसे ही बच्चे में बीमारी के लक्षण दिखते हैं तो ग्रामीण लोग शहर में ले जाने की बजाए गांव में बैठे झोलाछाप डॉक्टर्स के पास इलाज के लिए ले जाते हैं जहां पर उन्हें राहत तो मिलती नहीं बल्कि सेहत और बिगड़ जाती है, तब मरीज को शहर ले जाया जाता है। डॉक्टरों ने एईएस लक्षण बताते हुए कहा है कि अगर अचानक तेज बुखार, सिर में तेज दर्द, शरीर में जकड़न बताया है। इस बीमारी के प्रकोप में आने पर कभी-कभी बच्चा सुस्त बना रहता है और कभी कभी बेहोश हो जाता है। जैसे ही किसी को झटके आने लगें तो उसे तत्काल सही इलाज कराएं।

इस समय कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट में ऐसे तमाम मासूम मरीज बाल रोग विभाग में भर्ती हैं जो कि एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) से पीड़ित हैं। इसके पीड़ित बच्चों की संख्या भी अधिक है। वर्तमान में बाल रोग चिकित्सालय में 90 बेड पर 110 बच्चे इलाज करा रहे हैं। इनमें से ज्यादातर के दिमाग में संक्रमण की समस्या है। इस बीमारी से इन मरीजों को झटके भी आ रहे हैं। एसएनसीयू में 25 बेड की क्षमता के मुकाबले 76 बच्चे बुखार व अन्य बीमारियों से पीड़ित भर्ती हैं। इस बारे में बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ यशवंत राय ने बताया कि, एईएस नामक बीमारी से ग्रसित बच्चों का इलाज चल रहा है जो कि काफी गंभीर स्थिति में लाए गए थे। इनमें से ज्यादातर बच्चे ग्रामीण क्षेत्र के हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि अगर मरीज को समय पर सही इलाज मिल जाए तो वह ठीक हो सकते हैं। सही समय पर इलाज न मिलने पर यह बीमारी सीधे तौर पर बच्चों के दिमाग पर हमला करती है, जिससे गंभीर संक्रमण से ग्रसित हो जाता है।