तमिल गान के दौरान खड़े न होने को लेकर कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती की कड़ी आलोचना हो रही है। चेन्नई में मंगलवार (23 जनवरी) को एक कार्यक्रम में तमिल गान गाया जा रहा था। मंच पर मौजूद तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और अन्य लोग इस दौरान खड़े हो गए थे। सोशल नेटवर्किंग साइटों पर इसका वीडियो वायरल होने के बाद वह विवादों के केंद्र में आ गए हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि राष्ट्रगान के दौरान तो वह खड़े हो जाते हैं, जबकि तमिल गान के मौके पर वह बैठे रहे। यह घटना एक म्यूजिक एकेडमी के कार्यक्रम की है। राज्यपाल ने इस मौके पर तमिल-संस्कृत शब्दकोष जारी किया था। भाजपा के राज्य प्रमुख टी. सुंदरराजन और तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक पार्टी ने इस मसले पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। वहीं, कांचीपुरम मठ के एक सदस्य ने बताया कि तमिल गान के दौरान शंकराचार्य ध्यान में थे, इस वजह से वह खड़ा नहीं हो सके थे। विजयेंद्र सरस्वती कांची कामकोटि पीठ के 70वें शंकराचार्य हैं।

कवि और गीतकार वैरामुथु ने इस मुद्दे पर सख्त टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रगान देश के सम्मान में गाया जाता है, जबकि तमिल गान तमिल भाषा का सम्मान है। इन दोनों का समान रूप से सम्मान होना चाहिए।’ तमिल कवि ने कुछ दिनों पहले संत अंदल के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी की थी।मालूम हो कि कांची को तमिल संस्कृति और पारंपरिक संस्कृति का समर्थक माना जाता है। ऐसे में तमिल गान के दौरान विजयेंद्र सरस्वती के न उठने के मामले ने तूल पकड़ लिया। कांची मठ का विवादों से पुराना नाता रहा है। इसे तमिल ब्राह्मणवाद का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ही बाल विवाह का विरोध करने को लेकर भी मठ विवादों के केंद्र में रह चुका है।

टि्वटर पर लोगों ने इसको लेकर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। ए. विमल ने लिखा, ‘उन्होंने तमिल और तमिल लोगों का कभी भी सम्मान नहीं किया है। उन लोगों ने भी ऐसा नहीं किया जो राजनीतिक सुविधा के लिए हिंदू के नाम पर प्रदर्शन करते हैं।’ तमिलसेल्वम चेल्लमु ने ट्वीट किया, ‘यदि जयललिता जीवित होतीं तो आरोपी आचार्य जरूर खड़े होते।’ एक अन्य व्यक्ति ने लिखा, ‘यह सुनियोजित तरीके से किया गया अपमान है। इस कार्यक्रम का आयोजन ही तमिल का अपमान करने के लिए किया गया था।’ श्रीकांत ने ट्वीट किया, ‘तमिल का अपमान और दोहरा मापदंड उनलोगों का काम है जो नोटा से भी हार चुके हैं।’ भारत ने लिखा, ‘अब से हर मुस्लिम को वंदे मातरम् गाने को कहें।’