राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य बाल निकायों से कहा है कि वे हाल ही में लागू किए गए किशोर न्याय कानून-2015 को लेकर जागरूकता और संवेदनशीलता फैलाने के लिए काम करें ताकि इस कानून के सभी पहलुओं पर बाल अधिकारों को सुरक्षित करते हुए अमल किया जा सके और इसका दुरूपयोग भी रोका जा सके। बीती 15 जनवरी को यह कानून अमल में आया। इसे पिछले साल शीतकालीन सत्र में राज्यसभा से पारित किया गया था और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 31 दिसंबर को इसे अपनी संतुति प्रदान की थी। इस कानून के क्रियान्वयन पर निगरानी का काम करने वाली संस्था राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इस संशोधित अधिनियम में शामिल हर बात पर बखूबी अमल हो ताकि बाल अधिकारों के साथ किसी तरह का समझौता नहीं हो।
आयोग के सदस्य यशवंत जैन ने कहा, ‘हमने बाल आयोगों और राज्य स्तर पर बाल अधिकारों से संबंधित दूसरे निकायों से कहा है कि वे इस कानून का सही ढंग से क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए काम करें। हमारी कोशिश यह होनी चाहिए इस कानून का दुरूपयोग नहीं हो और इसका क्रियान्वयन बाल अधिकारों के सुनिश्चित करते हुए हो।’
उन्होंने कहा, ‘इस कानून में सबसे महत्वपूर्ण बात ‘सुरक्षित स्थल’ के बारे में कही गई है। हर जिले में ऐसे स्थलों को सुनिश्चित करने के लिए हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। जघन्य अपराध में किसी भी किशोर को सुरक्षित स्थल पर ही रखा जाएगा।’ इस कानून के तहत जघन्य अपराधों के मामले में 16 से 18 साल की आयुसीमा के किशोरों को भी वयस्क अपराधी माना जाएगा। दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 की सामूहिक बलात्कार की जघन्य घटना के बाद जघन्य अपराधों में शामिल किशोरों को लेकर कानून में संशोधन की मांग उठी। इसके बाद पहले के कानून के स्थान पर यह नया कानून लाया गया।
किशोर न्याय कानून-2015 के अनुसार किशोर न्याय बोर्ड की ओर से प्रारंभिक जांच में अपराध की पुष्टि होने पर किशोर को बाल अदालत भेजा जाएगा जहां उसे दोषी ठहराया जा सकता है। बाल अदालत में दोषी करार दिए जाने पर किशोर को ‘सुरक्षित स्थल’ (प्लेस आॅफ सेफ्टी) भेजा जाएगा, जहां वह 21 साल की उम्र तक रहेगा। इस उम्र में पहुंचने के बाद भी अगर उसमें कोई सुधार नजर नहीं आता तो फिर उसे वयस्कों की जेल में भेजा जा सकता है।
जैन ने कहा, ‘इस कानून के तहत हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि हर जिले और क्षेत्र में बाल कल्याण समितियां हों तथा बाल सुधार गृहों की हालत सुधारने पर जोर दिया जाए। किशोर न्याय कानून का दुरुपयोग नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए हम बाल अधिकार के क्षेत्र में काम करने वाली सभी एजेंसियों और संस्थाओं के साथ मिलकर काम करेंगे। हम इसको लेकर गैर सरकारी संगठनों से भी बात कर रहे हैं।’