पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक याचिका खारिज कर दी जिसमें 17 साल के जुनैद की गत जून में एक ट्रेन में कथित तौर पर पीट-पीटकर की गई हत्या की सीबीआई जांच की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति राजन गुप्ता की एकल पीठ ने यह आदेश दिया। जुनैद के पिता जलालुद्दीन के वकील अर्शदीप सिंह चीमा ने कहा, ‘‘न्यायाधीश ने इस आधार पर याचिका खारिज कर दी कि मामले में पुलिस जांच सही थी।’’ न्यायाधीश ने आदेश में लिखा, ‘‘सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता यह दिखाने में सक्षम नहीं रहे हैं कि जांच में कोई गंभीर कमी है, जिससे यह निष्कर्ष निकले कि जांच लचर है या दागदार है।’’

न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ‘‘इसके अलावा, इस बात को दर्शाने के लिए कुछ भी नहीं है कि घटना का कोई राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय प्रभाव है। इसलिए, यह सीबीआई को जांच सौंपने के लिए असाधारण शक्ति का इस्तेमाल करने का उपयुक्त मामला नहीं है।’’ गत 17 सितंबर को उच्च न्यायालय ने दलील पूरी होने के बाद याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। जलालुद्दीन ने अपने वकील के जरिए 26 अक्टूबर को याचिका दायर करके जुनैद हत्याकांड की सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की थी।

उल्लेखनीय है कि हरियाणा सरकार ने कुछ दिनों पहले पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट से कहा था कि मथुरा जा रही ट्रेन में भीड़ द्वारा मारे गए 15 वर्षीय जुनैद का परिवार आरोपियों से इस केस में समझौता करना चाह रहा है। सरकार का दावा था कि जुनैद का परिवार आरोपियों से इस केस को रफादफा करने के लिए दो करोड़ रुपए और तीन एकड़ जमीन की मांग कर रहा है। वहीं, हरियाणा सरकार के दावों को खारिज करते हुए जुनैद के परिवार ने कहा था कि यह केवल एक अफवाह है ताकि हम पर केस वापस लेने का दवाब बनाया जा सके। राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे एडिनशनल एडवोकेट जनरल दीपक सभरवाल के दावों को खारिज करते हुए जुनैद के परिवार के काउंसल ने किसी भी प्रकार का समझौता करने की बात पर आपत्ति जताई थी।