Jobs for transgender: महाराष्ट्र एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (MAT) ने राज्य सरकार को पुलिस सब इंस्पेक्टर का एक पद ट्रांसजेंडर के लिए आरक्षित करने के निर्देश दिए हैं। MAT की चेयरपर्सन जस्टिस मृदुला भाटकर ने सोमवार (7 नवंबर, 2022) को पारित अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 2014 के उस फैसले के बाद यह अनिवार्य है, जिसमें सभी राज्यों को सार्वजनिक नियुक्तियों में ट्रांसजेंडर लोगों को आरक्षण देने के लिए कहा गया था।

ट्रिब्यूनल ने अधिकारियों को पुलिस सब इंस्पेक्टर की परीक्षा में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए एक पद आरक्षित रखने का निर्देश दिया।

ट्रिब्यूनल एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिकाकर्ता ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति होने का दावा किया है। इस याचिका में महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग को एक ट्रांसजेंडर उम्मीदवार के रूप में पीएसआई पद के लिए आवेदन देने की अनुमति संबंधी निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। याचिकाकर्ता ने जून 2022 में निकाली गई 800 सब इंस्पेक्टर वेकैसी में ट्रांसजेंडर के लिए आरक्षण की मांग की है।

एमएटी ने कहा कि राज्य सरकार के इस रुख को ‘स्वीकार करना मुश्किल है’ कि शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में प्रवेश के लिए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आरक्षण पर नीतिगत फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अब तक नहीं लिया गया है। आठ साल पहले कोर्ट का आदेश आया था।

आवेदक के वकील ने ट्रांसजेंडर समुदाय के कई अधिकारों को मान्यता देते हुए राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ मामले में 2014 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। शीर्ष अदालत ने राज्यों को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए शैक्षिक प्रवेश और सरकारी नौकरियों में कुछ सीटें आरक्षित करने का आदेश दिया था।

हालांकि, एमपीएससी के एक अधिकारी एसपी मांचेकर ने पैनल को बताया कि राज्य सरकार द्वारा ट्रांसजेंडरों के लिए आरक्षण नीति तैयार करने की प्रक्रिया अभी भी विचाराधीन है। पैनल ने कहा, “राज्य सरकार द्वारा लिए गए इस रुख को स्वीकार करना मुश्किल है कि नीतिगत निर्णय आज तक नहीं लिया गया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट 15 अप्रैल, 2014 को विशिष्ट आदेशों और निर्देशों के साथ उक्त निर्णय दे चुका है। इसलिए सरकार की ओर से देश के इस कानून का पालन करना अनिवार्य है…”

इस साल अगस्त में, न्यायाधिकरण ने राज्य सरकार से छह महीने के अंदर ट्रांसजेंडरों के लिए नौकरियों के प्रावधान पर एक ‘स्पष्ट नीति’ लाने को कहा था। यह निर्देश विशेष रूप से पुलिस विभाग के संबंध में था क्योंकि एक व्यक्ति ने पीएसआई के पद के लिए आवेदन किया था। पैनल ने संबंधित विभागों को 2014 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए किए गए उपायों के बारे में सूचित करने के लिए भी कहा था।