जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) को अधिकारियों ने सूचित किया है कि चुनाव प्रचार अभियान में जीएसटी नंबर वाले मूल बिल नहीं जमा करने पर उनके पदाधिकारियों का चुनाव रद्द हो सकता है। छात्र संघ को जारी किए गए एक पत्र में यह बात कही गई है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि जमा किए गए बिल सही प्रारूप में नहीं थे। छात्र संघ के चुने गए पदाधिकारियों ने चुनाव के प्रचार के दौरान किए गए खर्चों के प्रमाण 28 सितंबर को जमा कर दिए थे लेकिन डीन आॅफ स्टूडेंट्स (डीओएस) प्रोफेसर उमेश कदम की ओर से चार अक्टूबर को लिखे गए एक पत्र में इन पदाधिकारियों से मूल बिल जमा करने को कहा गया। कदम की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया कि जेएनयू छात्र संघ की ओर से जमा किए गए बिल लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों के अनुरूप नहीं थे जिसके मुताबिक, ‘‘प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव परिणाम घोषित होने के दो हफ्ते के भीतर पूर्ण एवं लेखा परीक्षित खाते कॉलेज/ यूनिर्विसटी अधिकारियों को सौंपने होंगे।’

गौरतलह है कि जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में एक बार फिर से लाल परचम फहराया है। वामपंथी छात्र संगठनों- आइसा, एसएफआई, एआईएसएफ और डीएसएफ के संयुक्त मोर्चा ने जेएनयू छात्र संघ चुनावों में केंद्रीय पैनल के सभी चार पदों पर जीत दर्ज की थी। यह जानकारी जेएनयू छात्र संघ चुनाव संपन्न कराने के लिए गठित चुनाव समिति ने दी थी। इस दौरान ABVP सभी चार सीटों पर दूसरे स्थान पर रही। अध्यक्ष पद पर लेफ्ट यूनिटी के एन साई बालाजी की जीत हुई। उन्हें 2161 वोट मिले हैं, जबकि दूसरे स्थान पर एबीवीपी के ललित पांडेय रहे, जिन्हें 972 वोट मिले हैं। उपाध्यक्ष पद पर लेफ्ट के सारिका चौधरी की जीत हुई है। उन्हें 2592 वोट मिले। जबकि एबीवीपी की गीता श्री 1013 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रही हैं। बता दें कि वाम सर्मिथत आॅल इंडिया स्टूडेंट्स असोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट्स फेडरेशन आॅफ इंडिया (एसएफआई), डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) और आॅल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) ने वाम एकता (लेफ्ट यूनिटी) नाम का गठबंधन बनाकर जेएनयूएसयू चुनाव लड़ा था।