हरियाणा की जींद विधानसभा सीट में हुए उपचुनाव की हार से इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के लिए लोकसभा की राह मुश्किल हो सकती है। कभी राज्य की सत्ता पर कई सालों तक काबिज रही इनेलो के पास मौजूदा समय में 18 विधायक और 2 सांसद ही बचे हैं। पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित होने के बाद ही ओम प्रकाश चौटाला के दोनों बेटों अजय सिंह चौटाला और अभय सिंह चौटाला का सियासी सफर भी अलग हो चुका है। जिसके चलते पार्टी लगातार कमजोर होती चली गई। इन सबके बीच दुष्यंत चौटाला की नवगठित जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने इनेलो की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। जींद के उपचुनाव में जहां इनेलो की जमानत जब्त गई तो वहीं जेजेपी बीजेपी के सामने मुकाबला करते हुए दूसरे स्थान पर रही।
उपचुनाव में इनेलो से आगे- हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का गठन किया है। नवगठित जेजेपी को अपने पहले चुनाव में भले ही हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन पार्टी ने इनेलो और कांग्रेस सरीखी पार्टियों को पीछे छोड़कर दूसरा स्थान हासिल किया है। जींद में हुए उपचुनाव में जेजेपी के दिग्विजय चौटाला ने 37631 मत प्राप्त किए जबकि इनेलो की जमानत तक जब्त हो गई। इस उपचुनाव का परिणाम का असर आगामी लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है।
जाट वोट बैंक पर पड़ेगा असर- इनेलो में मची पारिवारिक कलह के बीच पार्टी का परंपरागत वोट बैंक जाट काफी असमंजस में बताया जा रहा है। राजनितिक विश्लेषकों का कहना है कि हरियाणा के जाट वोट बैंक का अभी भी ज्यादातर हिस्सा ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी इनेलो को ही मिलता है। शेष वोट कांग्रेस और बीजेपी में बंट जाता है। ऐसे में इनेलो पार्टी और चौटाला परिवार में फूट का सीधा लाभ बीजेपी या कांग्रेस को मिल सकता है। आगामी लोकसभा के चलते इनेलो के ऊपर सभी पार्टियों की नजरें जमी हुई है।
2019 पर पड़ सकता है असर- जींद में उपचुनाव से पूर्व ही माना जा रहा था कि ये चुनाव न केवल अपने विधायक का चुनाव करेंगे बल्कि आगामी लोकसभा व राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के बारे में संकेत भी देंगे। जींद में चारों प्रमुख दल (कांग्रेस, इनेलो, बीजेपी और नवगठित जननायक जनता पार्टी) मैदान में थे। चुनाव से पहले विश्लेषकों का कहना था कि उपचुनाव के नतीजे नतीजे बताएंगे कि जनता सत्ताधारी बीजेपी के काम से खुश हैं या नहीं। साथ ही इस बात का भी अनुमान भी लगाया जाएगा कि सूबे की जनता दिग्विजय चौटाला का आने वाले चुनावों में कितना समर्थन करेगी।
बीते विधानसभा चुनावों में इनेलो का प्रदर्शन- हरियाणा में बीते विधानसभा चुनाव (2014) में इनेलों ने 90 में से 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जींद में इनेलो विधायक की मौत के बाद हुए उपचुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा, जिससे पार्टी के पास अब 18 विधायक ही बचे हैं। बात अगर 2009 के विधानसभा चुनावों की करें इनेलो ने इससे कहीं अधिक 31 सीटों पर दर्ज की थी। जबकि उसके पूर्व के विधानसभा चुनावों में पार्टी को मात्र 9 सीटों पर जीत मिली थी।
उपचुनावों में पार्टियों की सक्रियता को देखकर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना था कि यह चुनाव मुख्यमंत्री मनोहर लाल की राजनीतिक साख, देवीलाल व ओमप्रकाश चौटाला की पारिवारिक विरासत तथा कांग्रेस की सत्ता में वापसी की आस के सवालों का जवाब देने वाला साबित होगा। इसके द्वारा काफी हद तक 2019 की तस्वीर साफ़ होने के आसार है।