धनबाद स्थित सेन्ट्रल इन्स्टीच्यूट ऑफ माइनिंग एण्ड फ्यूल रिसर्च (सीआईएमएफआर) में डायरेक्टर के पद पर झूठा शपथ-पत्र देकर एक व्यक्ति साल 1990 से काबिज है। यह संस्थान भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीकि मंत्रालय के अधीन आता है। केन्द्र सरकार की सबसे बड़ी एजेंसी सीबीआई ने भी छानबीन करने के बाद इसकी पुष्टि कर दी है। संस्थान के सबसे बड़े अधिकारी डायरेक्टर जनरल ने भी विज्ञान एवं तकनीकि मंत्री को पत्र लिखकर डायरेक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अनुशंसा महीनों पहले की है। बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई है। लगता है मंत्री महोदय या तो व्यस्तता की वजह से फाइल नहीं देख सके हैं या जानबूझकर कोई उन्हें ये फाइल नहीं देखने दे रहा है और उस पर कुंडली मारे बैठा है।

संवेदनशील कहे जाने वाले संस्थान सीआईएमएफआर के इस डायरेक्टर का नाम है प्रदीप कुमार सिंह। आरोप है कि उन्होंने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) कैंपस में स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ब्रांच में क्लर्क-कम-कैशियर की नौकरी और रेगुलर छात्र के रूप में उसी विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई साथ-साथ की है। 27 जनवरी 1990 को बैंक की नौकरी छोड़कर दो दिन बाद ही उन्होंने धनबाद में सीआईएमएफआर में वैज्ञानिक की नौकरी ज्वायन कर ली। प्रदीप कुमार सिंह ने अपनी मेहनत और लगन की बदौलत बहुत कम समय में ही संस्थान के डायरेक्टर के पद पर प्रमोशन पा लिया। भाग्य और भगवान में अपार आस्था रखने वाले डायरेक्टर साहब को बखूबी पता है कि कैरियर को ऊंचाई पर ले जाने के लिए बॉस को कैसे खुश किया जाता है और विरोधियों से किसे निपटा जाता है। इसी कौशल की बदौलत आरोप प्रमाणित होने के बाद भी वो भारत सरकार के इस अति महत्वपूर्ण और संवेदनशील संस्थान के महत्वपूर्ण पद पर बिराजमान हैं।

सीबीआई द्वारा सौंपी गई जांच रिपोर्ट की प्रति।

कांग्रेस के राज्य सभा सांसद परवेज हाशमी और यूपी के मुबारकपुर विधान सभा क्षेत्र के पूर्व विधायक मो. अब्दुस सलात की लिखित शिकायत पर सीबीआई ने जनवरी 2016 में प्रदीप कुमार सिंह के खिलाफ जांच शुरू की थी। सीबीआई की गहन जांच रिपोर्ट, जिसकी छाया प्रति जनसत्ता.काम के पास है, कन्फर्म करती है कि सिंह 1982 से लेकर अगस्त 1985 तक बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से बतौर नियमित छात्र पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। साथ ही इसी काल खंड में उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बीएचयू ब्रांच में पूर्णकालिक नौकरी की जो गैर कानूनी है। इन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री भी बीएचयू से ही प्राप्त की है। सीबीआई ने 14 जून 2016 को ही सीआईएमएफआर के डायरेक्टर जनरल गिरीश सहनी को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। जांच एजेन्सी ने लिखा है कि प्रदीप कुमार सिंह ने नौकरी पाने के क्रम में सही तथ्यों को अपने इम्पलायर से छिपाया है जो जालसाजी है।

सीबीआई जांच रिपोर्ट।

इसी बीच, डायरेक्टर जनरल ने जनसत्ता.काम को फोन पर बताया कि संस्थान के डायरेक्टर की नियुक्ति प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है। ‘‘वैसे मेरे संज्ञान में जब ये बात आई तब मैंने उपयुक्त कार्रवाई के लिए ऊपर सिफारिश भेज दिया है।’’ जब प्रदीप कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने टेलीफोन पर प्रतिक्रिया दी कि कोई विरोधी शक्ति उनके टैलेन्ट को डाइजेस्ट नहीं कर सकती हैं। उन्होंने दावा किया ‘‘हमने ऐसा कोई काम नहीं किया है जो कानून के दायरे से बाहर हो।’’