Jharkhand News: झारखंड में आबकारी कॉन्स्टेबल भर्ती के नियमों में बड़ा बदलाव हुआ है। पहले परीक्षा में जो मूल्यांकन 1.6 किमी में होता था, उसे बदलकर 10 किमी दौड़ का कर दिया है। इसके अलावा फिटनेस स्तर का मूल्यांकन नहीं होना, अत्यधिक आर्द्रता, तथा लिखित परीक्षा से पहले शारीरिक परीक्षण कराने का निर्णय विवादों में घिर गया है। इसकी वजह यह है कि इस भर्ती की परीक्षा के दौरान ही 12 अभ्यर्थियों की मौत हो गई। शीर्ष अधिकारियों ने भी अभ्यर्थियों की मौत का कारण यही माना है।
12 लोगों की मौत 10 किलोमीटर की दौड़ के दौरान हुई, जो परीक्षा के लिए अनिवार्य है। शारीरिक परीक्षण देखरेख झारखंड पुलिस 22 अगस्त से कर रही है, यह भर्ती अभियान का पहला चरण है। योग्य उम्मीदवार 60 मिनट में दौड़ पूरी करते हैं, फिर भर्ती होने से पहले लिखित परीक्षा और अंतिम मेडिकल टेस्ट देते हैं।
1.17 लाख अभ्यर्थियों ने किया क्वालीफाई
मृतकों की उम्र 19 से 31 वर्ष के बीच है। इनकी पहचान पलामू के अमरेश कुमार, प्रदीप कुमार, अजय महतो, अरुण कुमार और दीपक कुमार पांडु, हजारीबाग के मनोज कुमार और सूरज कुमार वर्मा, साहिबगंज के विकास लिंडा और गिरिडीह के सुमित यादव के रूप में हुई है। तीन अन्य के बारे में अभी तक जानकारी नहीं दी गई है। 2 सितंबर तक कुल 1.87 लाख उम्मीदवारों ने शारीरिक परीक्षण के लिए आवेदन किया था, जिनमें से 1.17 लाख ने अगले चरण के लिए क्वालीफाई किया।
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सरकारी सूत्रों के अनुसार 2000 में झारखंड के गठन के बाद यह पहली बार है, जब भर्ती अभियान चलाया गया है, हालांकि इसे 2008 के साथ-साथ 2019 में भी शुरू किया गया था लेकिन कभी पूरा नहीं हुआ था। राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने इस प्रक्रिया की जांच के आदेश दे दिए हैं। यह प्रक्रिया रोक दी गई थी और अब 9 सितंबर को फिर से शुरू होगी। इस जांच की रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है।
क्या बोले मामले में जिम्मेदार
झारखंड के अतिरिक्त महानिदेशक (मुख्यालय) आरके मलिक ने कहा, कि कुछ उम्मीदवारों की अचानक मौत हो गई, कुछ की अस्पताल पहुंचने से पहले और कुछ की अस्पताल में भर्ती होने के बाद मौत हुई। पोस्टमार्टम हो चुका है और एफएसएल (विसरा नमूनों की जांच) में बाकी प्रक्रिया पूरी की जा रही है। अंतिम रिपोर्ट आने में समय लगेगा।उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों को अब शारीरिक मूल्यांकन से पहले मेडिकल जांच कराने की सलाह दी गई है।
नियमों में बदलाव हो सकते हैं बड़ी वजह
सरकारी सूत्रों ने कहा कि समस्या की जड़ 2016 में मूल्यांकन नियमों में किए गए बदलाव में हो सकती है। 1 अगस्त, 2016 को प्रकाशित झारखंड के आबकारी विभाग की अधिसूचना के माध्यम से, तत्कालीन सरकार ने झारखंड आबकारी कांस्टेबल संवर्ग (भर्ती और सेवा शर्तें) नियम, 2013 में संशोधन किया, जिसके तहत उम्मीदवार को छह मिनट में 1.6 किमी – या एक मील – दौड़ना होगा।
झारखंड राज्य पुलिस भर्ती नियम, की 2014 की तर्ज पर बनाए गए संशोधित नियमों का मतलब है कि पुरुषों को 60 मिनट में 10 किलोमीटर और महिलाओं को पांच किलोमीटर दौड़ना होगा। संदर्भ के लिए, भारतीय सेना की अग्निवीर नीति के तहत उम्मीदवारों को छह मिनट से कम समय में 1.6 किलोमीटर दौड़ना होता है।
सूत्रों के अनुसार मूल्यांकन में परिवर्तन का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। सूत्रों ने यह भी कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार के तहत मूल्यांकन परीक्षणों के क्रम में बदलाव। एक शीर्ष सूत्र के अनुसार, इस बदलाव का मतलब था कि लिखित परीक्षा से पहले शारीरिक परीक्षण आयोजित किए गए, जिसका मतलब था कि अधिक उम्मीदवारों ने प्रतिस्पर्धा की।
2016 के नियमों का हुआ जिक्र
सूत्र ने कहा है कि वर्तमान सरकार यह चर्चा फैलाना चाहती है कि भर्ती हो रही है और संख्या जितनी अधिक होगी, उतना ही बेहतर परिणाम होगा। मूल्यांकन नियमों में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर आबकारी विभाग के सचिव मनोज कुमार ने कहा कि 2016 के नियमों में आबकारी कांस्टेबलों के लिए 10 किलोमीटर की दौड़ अनिवार्य कर दी गई थी, जो पुलिस भर्ती नियमों के समान है क्योंकि दोनों कांस्टेबलों का काम एक जैसा है।
ऑक्सीजन लेवल में आई गिरावट
यह पूछे जाने पर कि लिखित परीक्षा से पहले शारीरिक मूल्यांकन परीक्षण क्यों किया गया, उन्होंने कहा कि सभी उम्मीदवारों की लिखित परीक्षा आयोजित करने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि बुद्धिमत्ता से अधिक हमें शारीरिक फिटनेस की आवश्यकता थी। सूत्रों ने बताया कि उम्मीदवारों की फिटनेस के स्तर की जांच करने के लिए बुनियादी स्वास्थ्य जांच की कमी और उच्च आर्द्रता जैसे कारक भी इसमें भूमिका निभा सकते हैं।
परीक्षण सुबह 6 बजे से दोपहर के बीच आयोजित किए गए थे और स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, कई उम्मीदवारों को उनके ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के बाद अस्पताल ले जाना पड़ा।
