Jhalawar School Collapse: राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में सरकारी स्कूल की छत गिरने से हुए हादसे में सात बच्चों की जान चली गई। इस हादसे में जान गंवाने वाले बच्चों के सपने बड़े थे और महत्वाकांक्षाओं से भी भरे हुए थे। चाहे वह क्रिकेट खेलना हो या आगे की पढ़ाई करनी हो। उनके परिवार में गुस्सा और रोष है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हादसे में पायल नाम की लड़की की भी जान चली गई। वह एक सरकारी ऑफिसर बनना चाहती थी। उसकी बहन सुनीता ने बताया, ‘वह मेरे माता-पिता से उसे प्राइवेट स्कूल में भेजने के लिए कहती रहती थी। वह आगे चलकर गांव छोड़कर आगे की पढ़ाई के लिए बाहर जाना चाहती थी।’ उसके माता-पिता अगले साल उसे एक प्राइवेट स्कूल में भेजने की सोच रहे थे। उसकी मां सपना बहुत दुखी हैं। उन्होंने कहा, ‘अब बहुत देर हो चुकी है। काश मैंने उनकी बात मान ली होती।’

बारिश में भी स्कूल मिस नहीं करती थी प्रियंका

वहीं प्रियंका कभी भी स्कूल मिस नहीं करती थी। चाहे कितनी भी तेज भारी बारिश ही क्यों ना हो। इस बात की जानकारी उसकी चाची मनोरी बाई ने दी। वह उन्हीं के साथ में रहती थी। मनोरी बाई ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘वह पढ़ाई के लिए उत्साही थी और टीचर बनने का सपना देखती थी। उसका एक ही टारगेट था कि पढ़ाई और नौकरी पाना। उसने कहा कि वह गांव में नहीं रहना चाहती थी। उसका सपना उसके साथ ही मर गया।’

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इस हादसे में कुंदन नाम के लड़के की भी जान चली गई। वह अपने तीन भाई-बहनों में सबसे छोटा था। उसकी मां पूरी तरह से टूट गई। उन्होंने कहा, ‘अपने भाई के उलट उसने कभी भविष्य के बारे में नहीं सोचा। लेकिन वह हमेशा लोगों के साथ विनम्र रहता था। हमें उससे कभी कोई शिकायत नहीं रही और हमें कभी अंदाजा भी नहीं था कि उसका चेहरा देखने का यह आखिरी दिन होगा।’

मीना और कान्हा के पिता का भी टूट गया सपना

मीना और कान्हा भी इस हादसे का शिकार हो गए। वह एक साथ ही खाते पीते थे और साथ ही में स्कूल जाते थे। उनके पिता छोटू लाल ने कहा, ‘वे दोनों एक साथ मर गए।’ खुद अनपढ़ होने के बावजूद छोटू लाल का उनके लिए एक ही सपना था बढ़िया पढ़ाई। उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा चाहता था कि वे कॉलेज जाएं और डिग्री हासिल करें।’

वह मेरा सबसे प्यारा बच्चा था – कार्तिक के पिता

कार्तिक अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटा था और शरारती भी था। उसके पिता हरक चंद ने कहा, ‘वह मेरा भविष्य था। वह मेरा सबसे प्यारा बच्चा था। मेरी पत्नी और बेटियां सदमे में हैं। पहले तो हमें यकीन ही नहीं हुआ। मैं उसे बेहतर शिक्षा के लिए नवोदय स्कूल भेजना चाहता था।’ वहीं, हरीश अक्सर अपने परिवार से कहता था कि वह एक दिन बहुत पैसा कमाएगा और उनके लिए एक बड़ा घर बनाएगा। बाबू लाल ने कहा, ‘मैं चाहता था कि हरीश सरकारी टीचर बने। हरीश रोज स्कूल जाता था और पढ़ाई के प्रति उत्साही था।’ राजस्थान के झालावाड़ में सरकारी स्कूल की छत गिरी