नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने के बाद से जनता दल युनाइटेड (जदयू) के सीनियर नेता शरद यादव चुप-चुप हैं। बिहार का महागठबंधन (नीतीश और लालू की पार्टी के बीच) टूटने के बाद शरद यादव की चुप्पी के लोग अपने-अपने मायने लगा रहे हैं। शरद यादव पिछले कुछ महीनों से संसद में भी चुपचाप दिखे। मीटिंग और किसी कार्यक्रम में नेताओं और लोगों से मिलते वक्त वह ज्यादा बातचीत नहीं कर रहे। जिस जिन नीतीश कुमार एनडीए में वापस आए उस दिन शरद यादव एक कार्यक्रम में थे। लेकिन वह वहां ज्यादा देर रुके नहीं।
इसके अगले दिन संसद में भी वह दूसरे दरवाजे से अंदर घुसे। माना जा रहा है कि उन्होंने ऐसा मीडिया वालों से बचकर निकलने औ बात ना करने के लिए किया। शरद का यह बर्ताव अजीब इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि आमतौर पर वह मीडिया से खुलकर बात करते रहे हैं। लेकिन अब पिछले तीन दिनों से वह मीडिया के सामने नहीं आए हैं।
सपा को राहत: नीतीश कुमार के एनडीए में वापस जाने के फैसले ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी। ऐसे में समाजवादी पार्टी (सपा) पहले हैरान थी लेकिन सोच-विचार के बाद अब उसको कुछ राहत महसूस हो रही है। दरअसल, 2015 में जब महागठबंधन की बात हुई थी तो सपा को भी लालू और नीतीश के साथ शामिल होने का न्योता था। सपा इस बात के लिए मान भी गई थी। लेकिन फिर अचानक मना करके अलग खड़ी हो गई। ऐसे में पार्टी नेता अब सोच रहे हैं कि अगर उन्होंने तब साथ बने रहने का फैसला कर लिया होता तो फिर आज उनकी क्या हालत होती ?