जम्मू कश्मीर के सामाजिक कल्याण मंत्री सज्जाद गनी लोन ने कहा कि कश्मीर के मुस्लिमों को देश की मुख्यधारा में ‘मिलाया जाना’’ चाहिए और उन्हें मलहम दिए जाने की जरूरत है क्योंकि पिछले 20 वर्षों में वे ‘बुरी तरह से प्रभावित’ हुए हैं। लोन ने विधान परिषद में कहा कि घाटी के मुस्लिमों को राष्ट्रीय मुख्यधारा में लाए जाने की जरूरत है। उन्हें प्रोत्साहन और सांत्वना की
जरूरत है क्योंकि पिछले 20 वर्षों में वे बहुत प्रभावित हुए हैं। मंत्री इस राज्य में एक अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना पर सवाल का जवाब दे रहे थे। लोन ने कहा, ‘‘ राज्य में इस तरह का आयोग स्थापित करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि अल्पसंख्यक की घोषणा केन्द्र के अधिकार क्षेत्र में आता है।’’ राज्य में हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने की भाजपा सदस्य विबोध गुप्ता की मांग खारिज करते हुए मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय मापदंडों के आधार पर ही अल्पसंख्यकों की घोषणा की जा सकती है। ‘‘ हम ब्लाक स्तर पर अल्पसंख्यकों की घोषणा नहीं कर सकते, हमें राष्ट्रीय मापदंड अपनाना होता है।’’ गुप्ता ने आरोप लगाया कि यह हिंदुओं के साथ मानवाधिकार का उल्लंघन है कि अल्पसंख्यक होने के बावजूद वे उन लाभों से वंचित हैं जो लाभ देशभर में अल्पसंख्यक उठा रहे हैं। आप 30 प्रतिशत की आबादी को अल्पसंख्यक घोषित नहीं कर रहे हैं.. यह अन्याय है। इस मुद्दे पर भाजपा पार्षद चरणजीत सिंह ने कहा कि सत्तारूढ़ पीडीपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कहा है कि वे सिख समुदाय को ‘अल्पसंख्यक का दर्जा’ देंगे, लेकिन अभी तक सरकार इस मुद्दे पर ‘चुप’ है।