ईद के मौके पर श्रीनगर आनेवाली सभी उड़ानें हाउसफुल हैं। घाटी लौट रहे लोगों के हाथों में अपने माता-पिता और बुजुर्गों के लिए गिफ्ट है लेकिन फिजा में उत्साह नहीं है। हवाई अड्डे पर ड्राइवर कह रहे थे कि सुबह में श्रीनगर के इक्के-दुक्के खुली मटन शॉप पर मीट खरीदने की उन्हें अनुमति नहीं थी। बकरीद के मौके पर रीति-रिवाज के अनुसार भेड़-बकरियों के बलिदान के लिए शहर के रास्ते में होनेवाली खरीद भी काफी सुस्त दिख रही है। शाम तक जब श्रीनगर में स्थिति कर्फ्यू की ओर लौटी तो दुकानदार मायूस होकर कह उठे कि उनकी बिक्री पिछले साल की तुलना में 20-30 फीसदी ही हो पाई।
हैदरपुरा में भेड़-बकरियों के झुंड के दूसरी तरफ खड़े आरिफ हुसैन खान कहते हैं कि उन्होंने मात्र 40 जानवर ही बेचे हैं जबकि वो हर साल बकरीद पर करीब 150 से 200 जानवर बेचते थे। वो कहते हैं कि “लगता है लोग शोकाकुल हैं।” थोड़ी ही दूरी पर रियाज खान भी उसी तरह उदास हैं। रियाज कहते हैं कि “वह मुख्य सड़क से इसलिए दूर खड़े हैं क्योंकि उत्तेजित युवाओं के कुछ संगठन ने एलान किया है कि इस बार बकरीद पर वो जानवरों की बिक्री होने नहीं देंगे।” वो कहते हैं कि “थोड़ी देर पहले ही वो कारोबार कर लौटे हैं। दो दिनों में सिर्फ 25 जानवर ही बेचे हैं। उन्हें डर है कि कहीं वो उत्तेजित लड़के फिर से वापस न आ जाएं। सुरक्षाबल के जवान भी कहीं नहीं दिख रहे हैं।”
ईद की पूर्व संध्या पर शहर करीब-करीब बंद है। अधिकांश दुकानें और मॉल भी बंद हैं। हालांकि, सब्जी की दुकानों, दवाई और किराने की दुकानों के कारोबार में दोपहर बाद थोड़ी तेजी देखी गई लेकिन वैसी तेजी नहीं दिखी जैसी श्रीनगर के मशहूर कन्फेक्शनरी और ड्राई फ्रुट दुकानों में अमूमन होता है। रिजेंसी रोड पर स्थित एक ड्राई फ्रुट्स की दुकान चलानेवाले मोहम्मद आमिर कहते हैं कि हकीकत यह है कि ईद से एक दिन पहले भी उनके पास ड्राई फ्रुट्स और मिठाई का कोई स्टॉक नहीं है जिसे वो बेच सकते हैं।
उसने अपनी दुकान की शटर आधी बंद कर रखी है और बिस्कुट बेचने में भी जल्दीबाजी कर रहा है। उसने कहा कि “पिछले दो महीने में श्रीनगर में कुछ भी नये माल की सप्लाई नहीं हुई है, इसलिए दुकानों में सामान की भी कमी है। हालांकि, मैंने दिल्ली से बिस्कुट के कुछ कार्टून्स मंगाए हैं, उसे ही कस्टमर्स को बेच रहा हूं।”
उसने बताया कि “जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवलदार बशीर अहमद ने थोड़ी ही देर पहले उसकी दुकान पर पानी की फुहारें छोड़ी थीं, तब उसने हवलदार से किसी प्रकार रो-धोकर गुजारिश की कि वो ईद के मौके पर अपना घर खाली नहीं लौटना चाहता है। इसलिए थोड़ी बिक्री की इजाजत दे दी। बाजार में पैस्ट्री और बिस्कुट के पैकेट नहीं है। इसलिए मैंने कुछ पैकेट्स अपने माता-पिता और बच्चों के लिए खरीद लिए हैं।”
दरअसल, यह हिंसक और प्रदर्शनकारी जुलूस का डर है, खासकर हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के उस बयान का जिसमें उन्होंने कहा है कि ईद के मौके पर श्रीनगर में सफकदाल के ईदगाह से लेकर यूएन पर्यवेक्षक के दफ्तर तक विरोध मार्च निकालेंगे। इसके मद्देनजर लोगों को अपने-अपने घरों के नजदीकी मस्जिदों में ही ईद का नमाद अदा करने की सलाह दी गई है। इधर, पारा मिलिट्री फोर्सेज ने भी चहलकदमी और तेज कर दी है ताकि शहर में शांति-सुरक्षा कायम रखा जा सके।
शहर में सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे सीआरपीएफ के स्पेशल डीजी एस एन श्रीवास्तव ने शहर में भारी जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने कहा कि “बड़ी मस्जिदों के रास्ते पर छोटे-छोटे जुलूस को अनुमति दे सकते हैं।” इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए श्रीवास्तव ने कहा “ईद के मौके पर श्रीनगर में हिंसा का पुराना इतिहास रहा है। इसलिए वो कुछ भी रिस्क नहीं लेगें।”