खुफिया एजेंसियां काफी वक्त से लश्कर ए तय्यबा की एक युनिट जो कि घाटी में छिपकर काम कर रही थी उसपर नजर रख रही थी। वह युनिट 16 कॉर्प्स के हेडक्वार्टर पर अटैक करने की प्लानिंग कर रही थी। इंडियन एक्सप्रेस को यह जानकारी एक सूत्र से मिली है। उसने बताया कि लश्कर ए तय्यबा की वह युनिट मंगलवार (29 नवंबर) को हुए हमले जिसमें 7 जवान शहीद हो गए उससे लगभग 2 हफ्ते पहले हमला करने की सोच रही थी। लगभग दस दिन पहले खुफिया एजेंसियों ने आगाह कर दिया था कि ऐसा कोई हमला हो सकता है। हालांकि, हमला घाटी से ऑपरेट होने वाले उस आतंकी सेल ने नहीं किया लेकिन फिर भी मंगलवार को हुए हमले ने कई सवाल पैदा कर दिए हैं। वे सवाल ये हैं कि पहले से जानकारी मिलने के बावजूद आतंकियों को रोकने के लिए क्या अतरिक्त सुरक्षा इंतजाम किए गए और अगर किए गए तो वे लोग नगरोटा कैंप में हमला करने में कामयाब कैसे हो गए।
मिलिट्री सूत्रों के मुताबिक, आतंकी नगरोटा कॉम्पलेक्स की पिछली दीवार फांदकर बड़ी आसानी से अंदर दाखिल हो गए थे। वे बिल्डिंग के उस हिस्से से आगे बढ़े जहां अफसरों के परिवार रहते थे। वहीं पर आतंकियों ने एक अफसर और तीन सैनिकों को अपना निशाना बनाया। इसके अलावा एक अफसर और दो सैनिक एक दर्जन से ज्यादा सैनिकों, दो महिलाओं और कुछ बच्चों को बचाने के लिए शहीद हो गए। आतंकियों ने सभी लोगों को एक बिल्डिंग में बंधक बना लिया था।
हमले के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि आतंकियों को कैंप के बारे में काफी जानकारियां पहले से मिली हुई थीं। शक है कि कोई ऐसा शख्स उनसे मिला हुआ था जो कि कैंप को भली-भांति जानता था। अफसरों की तरफ से जांच की बात कही गई है। तीन आतंकियों को मारने के बाद सर्च ऑपरेशन भी जारी है। गौरतलब है कि पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के वक्त भी आतंकी नीलगिरी के पेड़ों को झुकाकर बेस की दीवार फांदने में कामयाब हो गए थे।
पठानकोट हमले के बाद भी कैंपों की सुरक्षा पर ध्यान देने के लिए कुछ नहीं किया गया। रक्षा मंत्रालय के ही एक अधिकारी ने कहा कि सैंकड़ों बेस ऐसे हैं जहां क्लोज सर्किट कैमरा, सेंसर और बाकी उपकरणों की कमी है। कुछ लोगों का कहना है कि नगरोटा में हमला करने वाले आतंकी किसी सफेद गाड़ी में बैठकर आए थे। लेकिन फिलहाल इसकी कोई पक्की जानकारी नहीं है।