जम्मू कश्मीर में वर्तमान अशांति में युवाओं की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए राज्य सरकार ने सोमवार (26 सितंबर) को उच्चतम न्यायालय से कहा कि 26 साल के एक युवक की मौत पैलेट गन से घायल होने के बाद हुई थी ना कि सीधी चलाई गई गोली से, जैसा कि उसके पिता ने दावा किया है। उच्चतम न्यायालय में अपनी दलीलें देते हुए राज्य सरकार ने सोमवार को कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दस जुलाई को श्रीनगर के बटमालू क्षेत्र के तेंगपुरा में कथित रूप से मारे गए युवक की मौत पैलेट गन से घायल होने के बाद हुई थी। अब्दुल रहमान मीर नाम के एक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने 10 जुलाई को उसके घर पर सीधी गोली चलाई थी जिसमें उनके बेटे शब्बीर अहमद मीर की मौत हो गई थी। उधर, जम्मू कश्मीर पुलिस ने दावा किया था कि घाटी में प्रदर्शन के दौरान उसकी मौत हुई थी।
राज्य सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ से कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिसकर्मियों द्वारा नजदीक से चलाई गई गोली से मौत के पीड़ित के पिता के दावे को झूठा साबित करती है। रोहतगी ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। हम इसे विरोधात्मक याचिका के तौर पर नहीं मान रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य की अशांति में युवा मारे जा रहे हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट पीड़ित के पिता के दावे को झूठा साबित करती है।’ शीर्ष अदालत के निर्देश पर शब्बीर अहमद के पोस्टमार्टम में खुलासा हुआ कि उसकी मौत पैलेट से घायल होने के बाद हुई, गोली लगने से नहीं जैसा कि उसके पिता ने दावा किया था। पीठ ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 23 नवंबर की तारीख तय की।
शीर्ष अदालत ने 12 अगस्त को जिला एवं सत्र न्यायाधीश की निगरानी में शब्बीर का शव निकालकर पोस्टमार्टम करने का आदेश दिया था।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले मीर की मौत के मामले में कथित रूप से शामिल एक पुलिस उपाधीक्षक सहित पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और पुलिस महानिरीक्षक (कश्मीर रेंज) के खिलाफ शुरू अवमानना कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। पीठ ने जम्मू कश्मीर सरकार की याचिका पर मीर के पिता को भी नोटिस जारी किया था। श्रीनगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 18 जुलाई को एसएसपी को मीर के पिता के आवेदन पर डीएसपी यासिर कादरी और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था। इस घटना के संबंध में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के लिए सीजेएम द्वारा अवमानना कार्यवाही शुरू की गई थी।