सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के उस आदेश के अमल पर रोक लगा दी जिसमें 24 नवंबर तक वैष्णो देवी धाम के लिए नया रास्ता खोलने को कहा गया था। एनजीटी ने वैष्णो देवी गुफा मंदिर जाने वाले पैदल श्रद्धालुओं और बैट्री चालित कारों के लिए नया मार्ग खोलने का आदेश दिया था। एनजीटी ने इसके साथ ही मंदिर में रोजाना 50 हजार श्रद्धालुओं की सीमा तय की थी। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता के दो सदस्यीय खंडपीठ ने श्राइन बोर्ड का पक्ष सुनने के बाद यह आदेश पारित किया। बोर्ड ने शीर्ष अदालत से कहा कि 24 नवंबर से नया मार्ग खोलना संभव नहीं है। बोर्ड की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि इस क्षेत्र में सर्दी का मौसम शुरू हो जाने की वजह से नए रास्ते के निर्माण में कठिनाइयां आ रही हैं। उन्होंने कहा – जिस तरह से अधिकरण ने निर्देश दिए हैं, उसी वजह से हम यहां आए हैं। यह तीखे ढलान वाला और भूकंपीय क्षेत्र है। सर्दियों में निर्माण करने में परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि वैष्णो देवी गुफा के लिए दूसरे मार्ग का निर्माण कार्य चल रहा है। यह मार्ग फरवरी 2019 में श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस धर्म स्थल तक जाने के लिए दो मार्ग पहले से ही खुले हुए हैं।
मौजूदा समय में बोर्ड तीसरे मार्ग का निर्माण कर रहा है। बोर्ड का पक्ष सुनने के बाद पीठ ने एनजीटी के आदेश पर रोक लगाने के साथ ही उस याचिकाकर्ता को भी नोटिस जारी किया जिसकी याचिका पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने 13 नवंबर को नया मार्ग खोलने का निर्देश दिया था। अधिकरण बाकी पेज 8 पर ने नया मार्ग खोलने का आदेश देने के साथ ही वैष्णो देवी में रोजाना दर्शन के लिए आने वाले श्रृद्धालुओं की संख्या भी 50,000 तक सीमित कर दी थी। अधिकरण ने यह भी कहा था कि नए मार्ग पर घोड़ों और खच्चरों को चलने की अनुमति नहीं होगी। हरित अधिकरण ने प्राधिकारियों को निर्देश दिया था कि अगर कोई भी व्यक्ति वैष्णो देवी गुफा की ओर जाने वाली सड़क या बस अड्डे पर गंदगी फैलाता मिले तो उस पर दो हजार रुपए का जुर्माना किया जाए क्योंकि यह पैदल यात्रियों, विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों के लिए खतरनाक है। इसके अलावा अधिकरण ने वैष्णो देवी मंदिर परिसर में किसी भी नए निर्माण पर रोक लगा दी थी।