जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक पीएचडी छात्र को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया है। 39 वर्षीय फाजिली कश्मीर विश्वविद्यालय का छात्र है और फार्मास्युटिकल विज्ञान में डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रहा है। पीएचडी छात्र को उसके द्वारा लिखे गए एक लेख के लिए गिरफ्तार किया गया है जो 11 साल पहले एक ऑनलाइन मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था। फाजिली पर आरोप है कि 6 नवंबर 2011 को ऑनलाइन पत्रिका द कश्मीर वाला में प्रकाशित लेख अत्यधिक उत्तेजक, देशद्रोही और जम्मू और कश्मीर में अशांति पैदा करने वाला था।
SIA (स्टेट इन्वेस्टीगेशन एजेंसी) के अधिकारियों ने पीएचडी छात्र अब्दुल आला फाजिली, द कश्मीर वाला के संपादक फहद शाह, और मैगज़ीन कार्यालय परिसर में छापेमारी कर तलाशी ली। एसआईए ने कहा कि तलाशी देशद्रोही लेख के लिए फाजिली, फहद शाह और उसके अन्य सहयोगियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के संबंध में थी। द कश्मीर वाला के संपादक फहद शाह पहले से ही जेल में हैं।
फहद शाह को 14 मार्च को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (Public Safety Act) के तहत गिरफ्तार किया गया था, जबकि अदालतों द्वारा दो बार पहले उन्हें जमानत दी गई थी। 4 फरवरी को दक्षिण कश्मीर में एक मुठभेड़ पर उनकी वेबसाइट पर एक रिपोर्ट के लिए फहद शाह को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें परिवार के सदस्यों ने कहा था कि उनका बेटा जो मुठभेड़ में मारा गया था, वह आतंकवादी नहीं था। बाद में उन्हें अदालत ने जमानत दे दी थी। उनकी मैगज़ीन में एक अन्य रिपोर्ट के लिए शोपियां में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर के बाद उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था। दूसरी बार जमानत मिलने पर पुलिस ने उन पर पीएसए के तहत मामला दर्ज कर लिया था।
SIA ने अपने बयान में कहा कि, “लेख जिसका शीर्षक ‘The shackles of slavery will break’ था, वो उत्तेजक, देशद्रोही और जम्मू-कश्मीर में अशांति पैदा करने के इरादे से था। इस लेख को आतंकवाद का महिमामंडन करके युवाओं को हिंसा का रास्ता अपनाने के लिए उकसाने के उद्देश्य से लिखा गया था।”
फाज़िली 2016 के विरोध प्रदर्शन के दौरान सुर्खियों में आए जब उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग की निंदा करते हुए कई टेलीविजन कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्हें पांच साल पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पूछताछ के लिए बुलाया था। फाजिली की शादी होने वाली थी। वह मार्च 2021 तक पांच साल के लिए यूजीसी मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप प्राप्त कर चुके हैं।

