एक बार फिर देश की बीमार स्वास्थ्य सेवाओं का मामला सामने आया है। जम्मू में 30 साल के मोहम्मद सुल्तान को अपने बेटे का शव लेकर 200 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय करना पड़ा। उन्होंने बताया कि, ‘हालत खराब होने के बाद उनके बेटे मनान को किश्तवाड़ से जम्मू के सुपर स्पेशलिटी रेफर किया गया था। जहां उसकी मौत हो गई। हमें एंबुलेंस नहीं मिली। न ही कोई दूसरी गाड़ी मिली।’
पंजाब केसरी की खबर के अनुसार, मजदूरी कर पेट पालने वाले मोहम्मद सुल्तान का 2 साल का बेटा कई दिनों बीमार था। जिसका पहले इलाज पास के ही अस्पताल से कराया गया। हालात में सुधार न होता देख उसे किश्त वाड़ से जम्मू के सुपर स्पेशलिटी रेफर किया गया था। लेकिन उसकी हालत तब भी न सुधरी। जहां उसकी मौत हो गई। मौत के बाद पेशे से मजदूर पिता ने कई बार एंबुलेंस के लिए कहा लेकिन अस्पताल ने मना कर दिया।
अस्पताल प्रशासन की बेरुखी देख बेबस बाप बेटे के शव को कंबल में लपेट निकल पड़ा। उसने घर जाने के लिए बस का सहारा लिया। जहां उसने किसी को कुछ नहीं बताया। करीब 220 किमी का सफर आठ घंटे में तय कर वह किश्तवाड़ पहुंचे। सुल्तान के बेट का शव देखते ही पूरे इलाके के लोग भड़क उठे और सड़क जामकर प्रदर्शन करने लगे। इस बारे में वहीं किश्तवाड़ के डीसी अंग्रेज सिंह राणा का कहना है कि, एंबुलेंस मौजूद नहीं थी। वह जम्मू गई हुई थी। वापसी के समय ट्रैफिक जाम में फंस गई।