जम्मू कश्मीर के शोपियां फायरिंग मामले में आर्मी अफसरों के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को लेकर सेना की ओर से कहा गया है कि फायरिंग उस वक्त की गई थी जब हद से ज्यादा भड़का दिया गया था। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक सेना के उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी अनबू ने बुधवार को कहा, ‘यह एक शुरुआती कदम है, उन्होंने एफआईआर दर्ज कर ली है। जांच में सबकुछ सामने आ जाएगा। राज्य सरकार जो भी करे, लेकिन हमने हमारी ओर से जांच की और हम यह साफ-साफ बता देना चाहते हैं कि हमें हद से ज्यादा भड़काया गया, उसके बाद ही हमने जवाब देते हुए फायरिंग की।’ डी अनबू ने कहा, ‘एफआईआर दर्ज होना बहुत ही दुर्भाग्य की बात है, इस तरह के केस में जेनेरिक एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि जब जांच होगी तब सच्चाई भी सामने आ जाएगी।’
It is an initial step, they have lodged FIR. Everything will come out in investigation. Not withstanding what stat govt did, we had our own inquiry & are clear that we responded when we were provoked to the ultimate-Lt Gen D.Anbu, Commander Northern Command on Shopian Army firing pic.twitter.com/gGKM4e6k0Y
— ANI (@ANI) January 31, 2018
That is an unfortunate thing, in such a case a generic FIR should have been filed. I think they have prematurely put the name of an individual, I am sure when they investigate truth will come out: Lt Gen D.Anbu, Commander Northern Command on FIR in Shopian Army firing case pic.twitter.com/E6BqCP0lbI
— ANI (@ANI) January 31, 2018
दरअसल, 27 जनवरी के दिन कश्मीर के शोपियां में तीन क्विक रिएक्शन टीमों समेत सेना की बीस गाड़ियां घनपुरा की ओर जा रही थीं। रास्ते में इस काफिले की चार गाड़ियां अलग हो गईं। उसी वक्त कुछ प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी करनी शुरू कर दी। उन्होंने सेना के काफिले के ऊपर भी पत्थर फेंके। काफिले पर हमले के बाद सुरक्षाबलों की ओर से गोलीबारी की गई। इस फायरिंग में दो युवा प्रदर्शनकारियों जावेद अहमद और सुहेल अहमद की मौत हो गई थी। इस मामले में जम्मू कश्मीर पुलिस ने रणबीर पैनल कोड की धारा 302 (मर्डर) और धारा 307 (मर्डर की कोशिश) के तहत सेना की 10 गढ़वाल यूनिट के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई थी। इस एफआईआर में एक मेजर का नाम भी शामिल है।
अफसरों के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर के मामले में जम्मू कश्मीर की गठबंधन की सरकार की दोनों की पार्टियों के स्वर काफी अलग हैं। एक ओर पीडीपी प्रमुख और राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का कहना है कि दो नागरिकों की मौत के मामले में अफसरों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाया जाएगा, तो वहीं बीजेप इस एफआईआर का विरोध कर रही है और एफआईआर वापस लेने की मांग कर रही है। महबूबा ने इस मामले में सोमवार को कहा था कि उन्हें विश्वास है कि इस कदम से आर्मी का मनोबल कम नहीं होगा। महबूबा ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता की इस एक्शन से आर्ममी का मनोबल कम होगा। आर्मी एक संस्थान है और उसने अभी तक बहुत ही अच्छे काम किए हैं, लेकिन कलंक हर जगह होते हैं।’