केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में शांति बरतने की एकतरफा घोषणा भले ही कर दी हो, लेकिन आतंकियों को लेकर राज्य की स्थिति गंभीर बनी हुई है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने खुद माना है कि 1 अप्रैल के बाद आतंकी संगठनों में भर्ती होने वाले लोगों की तादाद दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। जम्मू-कश्मीर पुलिस की रिपोर्ट पर भरोसा करें तो आतंकी संगठनों में शामिल होने वालों युवाओं की तादाद पिछले 45 दिनों में 30 से बढ़कर सीधे 69 तक हो गई है। पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, स्थानीय आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबलों द्वारा चलाई गई मुहिम के बाद स्थानीय युवाओं के आतंकी बनने में इजाफा हुआ है। ‘द हिंदू’ के अनुसार, 1 अप्रैल को सैन्य अभियान में 13 स्थानीय आतंकी की मौत हो गई थी। इसके बाद हालात और भी खराब हो गए। पुलिस रिपोर्ट का कहना है कि 35 युवा तो 1 अप्रैल के अभियान के तुरंत बाद ही आतंकी संगठन में शामिल हो गए थे।
’90 दिनों में 30 युवा बने थे आतंकी’: रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की भयावह तस्वीर पेश की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस साल के शुरुआती 90 दिनों में 30 स्थानीय युवा आतंकी बने थे। लेकिन, इसके बाद के 45 दिनों में 69 युवा आतंकी संगठन में शामिल हुए थे।’ अप्रैल में सेना की ओर से चलाए गए अभियान में हिजबुल मुजाहिदीन के दो प्रमुख आतंकी मारे गए थे। इसे आतंकियों के भर्ती अभियान को लेकर बड़ी सफलता माना गया था। पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि मुठभेड़ में शीर्ष स्तर के आतंकियों मारे जाने से हिजबुल मुजाहिदीन के हमला करने की क्षमता में काफी कमी आई है, लेकिन युवाओं के आतंकी बनने की प्रक्रिया पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। युवाओं के आतंकी बनने के मामले में पुलवामा जिले की स्थिति सबसे ज्यादा भयावह है। सिर्फ इस जिले से ही 24 युवा आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं। वहीं, शोपियां से 10, कुलगाम से तीन और बांडीपुरा और गांदरबल से एक-एक युवा आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं। बता दें कि सुरक्षाबल पिछले कुछ महीनों से घाटी से आतंकियों को खदेड़ने के लिए ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ चलाया हुआ है। इस दौरान सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस को व्यापक पैमाने पर सफलता मिली है। कई शीर्ष आतंकियों को एनकाउंटर में ढेर किया जा चुका है।