गो तस्‍करी के बढ़ते मामले को देखते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद ने महत्‍वपूर्ण ऐलान किया है। संस्‍था के मौलवियों ने मेवात में पशुओं के व्‍यवसाय से जुड़े लोगों के लिए एक एडवायजरी जारी की है। इसमें उन्‍हें मवेशियों को दिन में सभी जरूरी दस्‍तावेज के साथ ले जाने क हिदायत दी है। ऐसा नहीं करने वालों की मदद के लिए जमीयत सामने नहीं आएगा। जमीयत ने कुछ दिनों पहले मवेशी ले जा रहे मेवात के एक युवक की अलवर पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के बाद यह एडवायजरी जारी की है। अलवर में पिछले कुछ दिनों में गोरक्षकों और मवेशी ले जाने वालों के बीच झड़प की तकरीबन आधा दर्जन घटनाएं हो चुकी हैं। गो तस्‍कर होने की गलतफहमी में इस तरह के टकराव हुए हैं। जमीयत ने अब इस तरह की घटनाओं को टालने की कोशिश की है।

‘टाइम्‍स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक, जमीयत उलमा-ए-हिंद के नेताओं ने इस मसले को लेकर मंगलवार को बैठक की थी। इसमें राजस्‍थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दिल्‍ली के नेताओं ने हिस्‍सा लिया था। बैठक के अंत में संस्‍था की ओर से घोषणा की गई कि रात में पशु ले जाने वाले अब गो तस्‍कर समझे जाएंगे। एडवायजरी में डेयरी किसानों और मवेशियों के मालिकों को सुबह आठ बजे से शाम के पांच बजे के बीच पशुओं को ले जाने की सलाह दी गई है। दूसरे जिलों या राज्‍यों से पशु खरीदने वालों को भी इसके अनुसार ही योजना बनाने की सलाह दी गई है। जमीयत ने स्‍पष्‍ट कर दिया है कि रात के समय मवेशी ले जाने वालों के साथ किसी तरह की घटना होने पर प्रभावितों की मदद नहीं की जाएगी। मेवात से समुदाय के नेता मौलाना याहया करीमी ने कहा कि गाय रखने वाले पैसे और समय बचाने की कोशिश में रात में यात्रा करने को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन यह बेहद संकट वाला साबित हो जाता है। निर्दोष लोगों के मारे जाने की स्थिति में न्‍याय के लिए सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। लेकिन, जमीयत नियमों के उल्‍लंघन या गाय को अवैध तरीके से ले जाने में संलिप्‍त लोगों का समर्थन नहीं करेगा।

ब्‍लॉक स्‍तरीय समिति बनाने की तैयारी: इलाके में मवेशी रखने वालों की पहचान करने के लिए ब्‍लॉक स्‍तरीय समिति बनाने का भी फैसला किया गया है। ऐसे में पशुओं की तस्‍करी में लिप्‍त लोगों को इसे छोड़ने की सलाह दी जाएगी। मुस्लिम समुदाय ऐसे लोगों को वैकल्पिक व्‍यवसाय अपनाने में भी मदद करेगा। गो तस्‍कर होने के संदेह में पेशे से ड्राइवर पहलू खान और तालिम हुसैन के मारे जाने के बाद इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए यह कदम उठाया गया है।