जामिया मिलिया इस्लामिया महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर जनता के सामने उनके लिखे पांच पत्रों को प्रदर्शित करेगा। इन पांचों पत्रों में से दो अंग्रेजी और बाकी तीन उर्दू भाषा में लिखे गए हैं। इन पर साल 1928 की तारीखें लिखी हुई हैं। ये सभी पत्र विश्वविद्यालय के आर्काइव डिपार्टमेंट (अभिलेखागार) के पास है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इन पत्रों में विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्यों, मुख्तार अहमद अंसारी, उनकी बेटी, जोहरा अंसारी और विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर मोहम्मद मुजीब को संबोधित किया गया है।
विश्वविद्यालय बना रहा है रिसर्च की योजनाः जामिया महात्मा गांधी के विश्वविद्यालय के साथ संबंधों को लेकर उस पर रिसर्च करने पर विचार कर रहा है। विश्वविद्यालय के आर्काइव डिपार्टमेंट में काम करने वाली उमैमा फारुकी ने कहा, ‘ये पत्र हमारे लिए किसी खजाने से कम नहीं है। इन पत्रों को सार्वजनिक डोमेन में नहीं डाला गया है। कुछ महीनों के अंदर हम जामिया मिलिया इस्लामिया के साथ गांधी की भागीदारी पर रिसर्च करने वाले हैं। ये पत्र हमारी रिसर्च में मददगार साबित होंगे।’
पत्रों में किया एमए अंसारी का जिक्रः गांधी ने मुख्तार अहमद अंसारी को 30 जून 1928 को लिखे अपने पत्रों में विश्वविद्यालय की बेहतरी के लिए ‘हिंदू- मुस्लिम एकता’ के बारे में लिखा है। बता दें अंसारी विश्वविद्यालय के तत्कालीन वाइस चांसलर थे, उनके गांधी के साथ घनिष्ठ संबंध थे।
गांधी ने जामिया की स्थापना में निभाई महत्वपूर्ण भूमिकाः ह्यूमैनिटिज और लैंग्वेज के डीन वहाजुद्दीन अल्वी ने कहा ने गांधी ने जामिया की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि ‘जामिया’ शब्द का अर्थ अरबी भाषा में ‘विश्वविद्यालय’ होता है। जामिया इस्लामिया साल 1920 में अलीगढ़ में स्थापित था और साल 1925 में इसे शिफ्ट कर दिया गया। गांधी जी शुरू से ही जामिया से जुड़े हुए थे और उन्होंने एक ऐसा विश्वविद्यालय बनाने की कोशिश की जहां पर सभी धर्मों के लोग मिलकर सौहार्दपूर्ण माहौल में पढ़ सके।
जामिया के कुलपति को लिखा पत्रः महात्मा गांधी ने 1948 और 1973 के बीच जामिया के कुलपति मोहम्मद मुजीब को एक और पत्र लिखा। गांधी ने 31 जनवरी 1941 में जामिया के डॉ जाकिर हुसैन के स्वास्थ्य के बारे में चिंता व्यक्त की, जो बाद में देश के तीसरे राष्ट्रपति बने थे। उसी पत्र में गांधी ने मुजीब से विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी ली। अल्वी ने कहा कि गांधी ने जामिया के लिए पैसा इकट्ठा करने में भी काफी मदद की। विश्वविद्यालस की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार जब जामिया को अलीगढ़ से दिल्ली शिफ्ट किया गया था तो वह वित्तीय संकट से गुजर रहा था। उस समय गांधी ने जामिया का हौंसला बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यही नहीं उन्होंने तो यह तक कह डाला था कि जामिया को किसी भी हाल में चलाना है चाहे उसके लिए उन्हें भीख भी क्यूं ना मांगनी पड़े।
‘गांधी की दिल्लीः 12 अप्रैल, 1915 -30 जनवरी 1950’ के लेखक विवेक शुक्ला ने बताया कि गांधी जी जामिया के बहुत करीब थे। यही नहीं जब जामिया की वित्तीय संकट को देखते हुए पैसा इकट्ठा करने के लिए सड़क पर उतरने की बात की तो कई नेता उनके समर्थन में आए और योगदान दिया। उन्होंने कहा गांधी के बिना जामिया कुछ भी नहीं है। गांधी का परिवार जामिया परिसर में भी रहा है। यही नहीं यहां उनके बेटे ने अंग्रेजी भी पढ़ाई है।
एमए अंसारी की बेटी को लिखे तीन पत्रः साल 1928 से 1933 के बीच गांधी ने एमए अंसारी की बेटी जोहरा अंसारी को उर्दू में तीन पत्र लिखे थे और उनसे उर्दू भाषा में अपनी गलतियों पर सुधार करने को कहा था। विश्वविद्यालय से 41 साल से जुड़े अल्वी ने बताया कि गांधी जोहरा को अपनी बेटी की तरह समझते थे और नियमित रूप से उन्हें पत्र लिखते थे।