प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त को अमृतसर में रिनोवेटेड जलियांवाला बाग कैंपस का उद्घाटन किया। इस स्मारक को पहली बार 13 अप्रैल 1961 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के हाथों खोला गया था। इतिहास के पन्नों में 13 अप्रैल की तारीख का अलग महत्व है। 13 अप्रैल 1919 को ही अमृतसर में जलियांवाला बाग में जमा हुए हजारों भारतीयों पर अंग्रेज सैनिकों द्वारा अंधाधुंध गोलियां बरसाई गई थीं। इस घटना ने दुनिया भर के सामने अंग्रेजी शासन की क्रूरता और दमनकारी पक्ष को रखा था। कहा जाता है कि इसी घटना के बाद से भारत में ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत हुई थी। डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इस नरसंहार के पीड़ितों के प्रति कृतज्ञता जाहिर करते हुए इसे राष्ट्र को समर्पित किया था।
जलियांवाला बाग हत्याकांड में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी। अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर दफ्तर में 484 शहीदों की लिस्ट देखी जा सकती है जबकि जलियांवाला बाग में शहीदों की संख्या 388 दर्ज है, जबकि अनाधिकारिक आंकड़ों के तौर पर कहा जाता है कि यहां 1000 से ज्यादा लोग शहीद हो गए थे। इस घटना ने स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे ज्यादा प्रभाव डाला था। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि इस ऐतिहासिक स्मारक कैंपस में क्या बदलाव किए गए हैं और किन नई सुविधाओं को जोड़ा गया है।
दो सालों से बंद था मेमोरियल: साल 2019 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के 100 साल पूरे होने के मौके पर केंद्र सरकार द्वारा इसके लिए 20 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए। फरवरी 2019 से ही इसे जनता के लिए बंद कर दिया गया था और तभी से इसका काम चल रहा था। इस स्मारक के मेकओवर की जिम्मेदारी सरकार के स्वामित्व वाली एनबीसीसी लिमिटेड कंपनी को दी गई थी। वहीं संस्कृति मंत्रालय द्वारा कैंपस के टिकट काउंटर, शौचालय और पीने के पानी जैसी सुविधाओं का निर्माण किया गया है।
अब झांक कर नहीं देख पाएंगे शहीदी कुआं: जलिया वाला बाद कैंपस में दाखिल होने और बाहर निकलने के प्वाइंट्स को बदल दिया गया है। उस शहीदी कुएं को भी एक शीशे की चादर से ढक दिया गया है, जिसमें लोग गोलियों की बौछार से बचने के लिए कूद गए थे। हालांकि सरकार के इस फैसले की काफी आलोचना भी हुई थी। इसके अलावा मुख्य स्मारक के चारों ओर एक तालाब बनाया गया है, जहां कमल के फूल दिखाई देते हैं।
लेजर और साउंड शो: स्मारक में एक मेहमानों के लिए एक खास मैदान भी तैयार किया गया है, यहां पर रोजाना लेजर और साउंड शो होगा। 28 मिनट का साउंड एंड लाइट शो रोजाना शाम को होगा जहां 13 अप्रैल, 1919 की घटनाओं को दिखाया जाएगा। यह शो मुफ्त होगा।
नई मूर्तियां लगाई गईं: इसके अलावा स्माकर की गैलेरी में शहीदों की कई नई मूर्तियां लगाई गई हैं। इसी गैलेरी के जरिए ही मेहमान कैंपस में दाखिल होते हैं। ये मूर्तियां विभिन्न क्षेत्रों के सामान्य पंजाबियों का प्रतिनिधित्व करती हैं। जो उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन पार्क में गए थे, लेकिन कभी वापस नहीं लौटे।
नए म्यूजियम: इसके अलावा चार नई म्यूजियम गैलरीज भी बनाई गई हैं। इन गैलरियों का निर्माण लंबे समय से बेकार पड़ी और कम इस्तेमाल वाली इमारतों को रिनोवेट करके किया गया है। यहां उस अवधि के दौरान पंजाब में हुई ऐतिहासिक घटनाओं के साक्ष्यों को दर्शाया जाएगा। इसमें गुरु नानक देव, सिख योद्धा बंदा सिंह बहादुर और महाराजा रणजीत सिंह की एक मूर्ति भी लगाई गई है।
पंजाब में चुनाव होने में अब कुछ ही महीने बचे हैं और राष्ट्रवाद की राजनीति ने जोर पकड़ लिया है। पिछले हफ्ते ही पंजाब के मुख्यमंत्री ने एक दूसरे स्मारक, जलियांवाला बाग शताब्दी स्मारक पार्क का उद्घाटन किया था। इस स्मारक को “अज्ञात शहीदों को श्रद्धांजलि” देने के लिए बनाया गया है। दूसरा स्मारक स्थल, इस कैंपस से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित है, जिसका निर्माण 1.5 एकड़ भूमि पर कराया गया है।