केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार (11 अप्रैल) को कांग्रेस के पूर्व सांसद जगदीश टाइटलर को दिल्ली में 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL) में अपनी आवाज का नमूना देने के लिए तलब किया। आवाज का नमूना जमा करने के बाद जगदीश टाइटलर ने पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया कि सम्मन 1984 के दंगों के मामले से संबंधित नहीं था। उन्होंने कहा, “मैने किया क्या है? अगर मेरे खिलाफ सबूत हैं, तो मैं खुद को फांसी पर चढ़ाने के लिए तैयार हूं… यह 1984 के दंगों के मामले से संबंधित नहीं था, जिसके लिए वे मेरी आवाज (नमूना) चाहते थे। यह दूसरा मामला है।”
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि टाइटलर एजेंसी के सामने पेश हुए और आवाज का नमूना देने के लिए उन्हें सीएफएसएल ले जाया गया। टाइटलर से पहले सीबीआई ने पूछताछ की थी और पूछताछ के दौरान उन्होंने दंगों में किसी भी तरह की भूमिका से इंकार कर दिया था।
यह मामला उत्तरी दिल्ली के गुरुद्वारा पुलबंगश में दंगों से संबंधित है, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के एक दिन बाद 1 नवंबर, 1984 को तीन लोगों की मौत हो गई थी। दिसंबर 2007 में एक अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इसके बाद गुरुद्वारे के पास तीन लोगों – बादल सिंह, ठाकुर सिंह और गुरचरण सिंह की हत्या के मामले की सीबीआई ने फिर से जांच की।
सीबीआई ने मामले में तीन बार टाइटलर को क्लीन चिट दी, लेकिन अदालत ने 2015 में मामले की आगे जांच करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि वह हर दो महीने में जांच की निगरानी करेगी ताकि मामले के हर पहलू की जांच की जा सके।
टाइटलर पर हत्या करने वाली भीड़ को उकसाने का आरोप है। मंजीत सिंह जी. के. ने 2018 में ‘स्टिंग’ वीडियो जारी किए थे। उन्होंने दावा किया था कि उन्हें दिल्ली के एक कारोबारी ने डाक के जरिए इन्हें भेजा है। एजेंसी ने बादल सिंह, ठाकुर सिंह और गुरुचरण सिंह की गुरुद्वारे के पास की गई हत्या के मामले की फिर से जांच शुरू की। सीबीआई अब विशेष अदालत के समक्ष नियमित रूप से स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर रही है।