Andhra Pradesh Liquor Scam: आंध्र प्रदेश पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) के द्वारा कथित शराब घोटाले में दायर की गई चार्जशीट के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की मुसीबतों में इजाफा हो गया है। हालांकि इस मामले में जगन को आरोपी नहीं बनाया गया है लेकिन यह कहा गया है कि रेड्डी को 2019 से 2024 के दौरान शराब कंपनियों से वसूली गई रकम मिलती थी। बताना होगा कि इस दौरान आंध्र प्रदेश में रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार चल रही थी।

बीते साल हुए आंध्र प्रदेश के विधानसभा चुनाव में रेड्डी की पार्टी वाईएसआरसीपी को हार मिली थी। राज्य में टीडीपी, बीजेपी और पवन कल्याण की जनसेना पार्टी मिलकर सरकार चला रहे हैं।

चार्जशीट में कहा गया है कि 2019 से 2024 के बीच शराब कंपनियों से हर महीने औसतन 50 से 60 करोड़ रुपये की वसूली की गई और इस रकम को केसिरेड्डी राजशेखर रेड्डी (A-1) ने विजयसाई रेड्डी (A-5), मिधुन रेड्डी (A-4), और बालाजी (A-33) को दिया। आखिर में इस पैसे को जगन मोहन रेड्डी को दे दिया गया।

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सांसद मिधुन रेड्डी की गिरफ्तारी

यह जानकारी वाईएसआरसीपी के सांसद और लोकसभा में नेता मिधुन रेड्डी की गिरफ्तारी के बाद सामने आई है। SIT का आरोप है कि मिधुन रेड्डी की इस घोटाले में अहम भूमिका है। SIT ने आरोपपत्र में रेड्डी को घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता बताया है। आरोप है कि रेड्डी ने आबकारी नीति बनाने और शराब बनाने वाली कंपनियों (डिस्टिलरी) से रिश्वत ली। आरोप पत्र में कहा गया है कि 2019 में हैदराबाद के हयात होटल में वाईएसआरसीपी के नेताओं और शराब कंपनियों के मालिकों के बीच बैठक हुई थी और इस बैठक में ही शराब कंपनियों के मालिकों से कहा गया था कि उन्हें रिश्वत देनी होगी।

विपक्षी नेताओं को बनाया जा रहा निशाना- वाईएसआरसीपी

वाईएसआरसीपी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने मिधुन रेड्डी की गिरफ्तारी को राजनीतिक बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताया है। पार्टी के कई नेताओं ने कहा है कि सत्ता का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है।

वाईएसआरसीपी के एक सूत्र ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मिधुन रेड्डी युवा कार्यकर्ताओं के बीच सक्रिय थे और उन्हें गिरफ्तार करके टीडीपी यह संदेश देना चाहती है कि जगन मोहन रेड्डी के सबसे करीबी लोगों को भी नहीं छोड़ा जाएगा। हालांकि टीडीपी के नेताओं का कहना है कि मिधुन की गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त सबूत हैं।

टीडीपी नेताओं का कहना है कि गलत तरीकों से जो पैसा कमाया गया, उसका इस्तेमाल 2024 के चुनाव प्रचार में किया गया।

क्या है यह कथित शराब घोटाला?

3500 करोड़ रुपये के इस कथित घोटाले को लेकर कहा गया है कि यह 2019 में जगन सरकार द्वारा बनाई गई शराब नीति से जुड़ा हुआ है। इस नीति के जरिए शराबबंदी करने की बात कही गई थी लेकिन इस मामले की जांच कर रहे अफसरों का आरोप है कि शराब नीति में कुछ खास शराब कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए और उनसे हर महीने रिश्वत लेने के बदले में पॉलिसी में हेरफेर की गई। इसके अलाव शराब के पॉपुलर ब्रांड को बाहर कर दिया गया और कम पॉपुलर ब्रांड को प्राथमिकता दी गई।

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