जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ चुनाव के लिए बुधवार रात हुई अध्यक्षीय परिचर्चा (प्रेसिडेंशियल डिबेट) में अपनी बेबाक राय और सभी पक्षों की कमियों को उजागर करते हुए निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद फारुक आलम छा गए। अपने बेलाग लपेट संबोधन से उन्होंने श्रोताओं को बांधे रखा और वैचारिक लड़ाई में शामिल छात्र संगठनों पर जमकर निशाना साधा। हालांकि छात्र संगठनों के उम्मीदवारों ने 24 घंटे पहले हुई पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से लेकर नजीब और सीट कटौती के मुद्दों को उठाकर छात्रों को अपनी ओर करने की पुरजोर कोशिश की।

निर्दलीय उम्मीदवार फारुक ने आॅल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) नीत वाम फ्रंट से जेएनयू छात्र संघ के पांच सालों का हिसाब मांगा। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से पूछा कि ये बताइए कि नजीब को किसने मारा। इसके अलावा बिरसा आंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बापसा) पर आलम ने आरोप लगाया कि आप परिसर में जाति का जहर घोल रहे हो। हमें लोगों को जाति के रूप में नहीं एक इंसान के रूप में देखना चाहिए। आप गुजरात के उना की बात करते हैं लेकिन नोएडा के अखलाक के लिए आप परिसर में एक पर्चा तक नहीं लाते हैं। ये आपके दोहरे चरित्र की निशानी है। आलम ने जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के संगठन आॅल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआइएसएफ) को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह संगठन उन्हें उपाध्यक्ष पद के लिए लड़ना चाहता था क्योंकि अध्यक्ष पद का उम्मीदवार तो दो वर्ष से तय है। अध्यक्षीय परिचर्चा की शुरुआत बापसा की शबाना अली ने की।

उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार के आने के बाद से ब्राह्मणवाद को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि आए दिन लोगों को हमले हो रहे हैं और ये हमले अब विश्वविद्यालय परिसर तक पहुंच गए हैं। हमें इन्हें रोकना होगा। उन्होंने वाम एकता को झूठी एकता करार दिया। इसके बाद एबीवीपी की निधि त्रिपाठी ने कहा कि अगर एबीवीपी चुनाव जीतती है तो वह परिसर के मुद्दों जिनमें प्लेसमेंट, स्वास्थ्य केंद्र आदि की समस्या को जल्द से जल्द सुलझाया जाएगा। इसके बाद नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन आॅफ इंडिया (एनएसयूआइ) की वृशिंका ने वाम दलों से पूछा कि आप परिसर में एकता की बात तो करते हो लेकिन उससे एनएसयूआइ को बाहर रखते हो, ऐसे में एकता कैसे आएगी। इसके बाद आलम ने छात्रों को संबोधित किया।

आलम के बाद एआइएसएफ की अपराजिता राजा ने कहा कि पूरी दुनिया में फासिस्ट शक्तियां बढ़ रही हैं। हमें इन्हें रोकना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री तो हमेशा एअर प्लेन मोड में ही रहते हैं। अपराजिता ने आइसा पर छात्रों के मुद्दों को न सुलझाने का भी आरोप लगाया। सबसे बाद में आइसा की गीता ने छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने अपनी बात गौरी लंकेश की हत्या और म्यांमा में रोहिंग्या मुसलमानों का मामला उठाया। गीता ने कहा कि देश की वर्तमान सरकार लोगों को डराकर रखना चाहती है लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार देश के नागरिकों से डर कर रहे।