पिछले दिनों आई राष्ट्रीय स्तर की रैंकिंग में दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) का स्तर गिरा है। विश्वविद्यालय का प्रदर्शन शिक्षा मंत्रालय के एनआइआरएफ (राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढांचे) और समग्र रैंकिंग दोनों में निराशाजनक रहा। इसको लेकर यहां बहस भी छिड़ गई है। दरअसल, रैंकिंग के साथ ही अगर कैंपस व कालेज की स्थिति देखें तो यह बेहद नाजुक दिखती है। खासकर शिक्षकों की नियुक्तियों को लेकर।
आरोप है कि विश्वविद्यालय में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ने से शिक्षकों की चयन प्रक्रिया प्रभावित हो रही है और प्राचार्यों की स्थायी तैनाती तक नहीं हो पा रही है। हाल ये है कि अभी करीब 20 से ज्यादा कालेज सालों से स्थायी प्राचार्य की बाट जोह रहे हैं। इससे कामकाज प्रभावित हो रहा है।
रैंकिंग गिरने के बहाने ही फिर से विवि की कमियों पर बहस छिड़ गई है। मसलन, कालेजों में स्थायी प्रचार्यों को नियुक्ति न करना, तदर्थ शिक्षकों और कालेजों में ग्रांट (दिल्ली सरकार ) आदि मसले खड़े हैं। कई मामले अदालत में गए। पीछे हुई कुछ प्राचार्यों में नियुक्तियों मसलन सविता राय, (दौलत राम कालेज), प्रत्यूष वत्सला, (लक्ष्मीबाई कालेज), परवीन गर्ग (स्वामी श्रद्धानंद कालेज), पवन कुमार शर्मा (दयाल सिंह) और आरएन दुबे (डा भीमराव अंबेडकर कालेज) में ज्यादा पर विवाद हुआ। नियुक्ति में कथित तौर पर आरक्षण नियमों की अवहेलना, रोस्टर की अनदेखी और हेराफेरी के आरोप लगे।
सूत्रों की माने तो 16 संकायों, 86 विभागों और 77 से ज्यादा कालेज – संस्थानों को रखने वाले डीयू के शैक्षणिक निकायों में कई नियुक्तियां विशेष विचारधारा से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के प्रभाव में हो रही है। डीयू प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने माना कि विश्वविद्यालय को इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
कुछ विवादित नियुक्ति
डॉ. परवीन गर्ग की नियुक्ति पर बड़ा विवाद हुआ। दौलत राम कालेज में एससी वर्ग के एक शिक्षक को, लक्ष्मीबाई कालेज में ओबीसी श्रेणी के एक अन्य शिक्षक को नियमों को उल्लंघन कर मनमानी तरीके से उनके पदों से मुक्त करने की शिकायतें एससी-एसटी आयोग एवं राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के संज्ञान में हैं।
स्वामी श्रद्धानंद कालेज में बलात्कार और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी बतौर तदर्थ सहायक प्रोफेसर हिंदी विभाग में नियुक्त हैं। हिंदी व्याख्याता संतोष को वर्धा विवि में एक छात्रा से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है। पहले उन्हें हटा दिया गया था लेकिन फिर उन्हें रख लिया गया। अन्य तदर्थ नियुक्तियों में से कुछ को रद्द करने का आदेश राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग ने दिया है, जिसपर कालेज की प्रबंधन समिति को रिपोर्ट देनी है।
