वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद मामले में एक याचिकाकर्ता की राष्ट्रपति को लिखी एक चिट्ठी काफी चर्चा में है। इस चिट्ठी में  याचिकाकर्ता राखी सिंह ने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु दिए जाने की मांग की है। हालांकि वह मामले से पहले ही खुद को अलग कर चुकी हैं। पांच महिला याचिकाकर्ताओं में से एक राखी सिंह ने उत्तर प्रदेश की एक अदालत से अनुरोध किया था कि मस्जिद परिसर में हिंदू प्रार्थना और अनुष्ठानों की अनुमति दी जाए।

राखी सिंह ने राष्ट्रपति को भेजे गए अपने पत्र में लिखा है कि वह 9 जून (शुक्रवार) को सुबह 9 बजे तक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की प्रतिक्रिया का इंतजार करेंगी, उसके बाद वह खुद के हिसाब से फैसला लेंगी। इस लेटर में उन्होने ज़िक्र किया है कि उन्हें साथी याचिकाकर्ताओं द्वारा परेशान किया जा रहा है। 

‘हमें प्राताड़ित किया गया’

राखी सिंह मामले के प्रमुख हिंदू याचिकाकर्ताओं में से एक जितेंद्र सिंह विसेन की रिश्तेदार हैं, जिन्होंने शनिवार को घोषणा की कि वह और उनका परिवार ज्ञानवापी विवाद से संबंधित सभी मामलों से कथित तौर पर प्राताड़ित किए जाने के बाद हट रहे हैं। 

उनकी ओर से जारी एक बयान में कहा गया, “मैं और मेरा परिवार (पत्नी किरण सिंह और भतीजी राखी सिंह) देश और धर्म के हित में विभिन्न न्यायालयों में दायर किए गए ज्ञानवापी संबंधी सभी मुकदमों से वापस ले रहे हैं”। मामले को अपनी सबसे बड़ी गलती कहते हुए उन्होंने हिंदू याचिकाकर्ताओं पर प्रातड़ना का आरोप लगाया। 

‘यह समाज धर्म के नाम पर नोटंकी करने वालों के साथ है’

इस मामले में दिए गए एक बयान में जितेंद्र सिंह ने कहा कि ब मैं ‘धर्म’ के लिए यह लड़ाई नहीं लड़ सकता और इसलिए मैं इसे छोड़ रहा हूं… यह समाज सिर्फ उनके साथ है जो धर्म के नाम पर नौटंकी खेलकर गुमराह करते हैं’। राखी सिंह और चार अन्य महिला याचिकाकर्ताओं ने अगस्त 2021 में मूल मुकदमा दायर किया था जिसमें हिंदू मूर्तियों की पूजा करने की अनुमति मांगी गई थी।