‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसी योजनाओं के जरिये बेटियों को समाज में समान दर्जा दिलाने की कवायद सिर्फ कागजों तक ही सिमटी लगती है। यही वजह है कि राजस्थान में 83 वर्षीय एक बुजुर्ग ने वारिस की चाहत में खुद से 53 साल छोटी युवती से शादी रचा ली। उनकी शादी में आसपास के 12 गांवों के लोग शामिल हुए थे। जानकारी के मुताबिक, यह मामला करौली के समरादा गांव की है। दिलचस्प है कि सुकराम बैरवा की पहली पत्नी ने ही पति की दूसरी शादी को मंजूरी दी। सुकराम की पहली शादी बट्टो से हुई थी। दोनों को एक बेटा और दो बेटियां हुई थीं। तकरीबन 20 साल पहले सुकराम के बेटे की गंभीर बीमारी के कारण मौत हो गई थी। उनके पास काफी संपत्ति है, ऐसे में दंपति को यह चिंता खाए जा रही थी कि उनके गुजरने के बाद इसकी देखभाल कौन करेगा? उसी वक्त उनके मन में शादी का खयाल आया था। बट्टो ने भी बेटे की चाहत में सुकराम को शादी की इजाजत दे दी। इस तरह 83 वर्ष की उम्र में सुकराम ने धूम-धाम से दूसरी शादी की। स्थानीय प्रशासन ने घटना के बारे में जानकारी होने की बात कही है। अधिकारियों ने बताया कि बुजुर्ग पहले से शादी-शुदा हैं, ऐसे में पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना अपराध है।
बता दें कि हिंदू कानून के अनुसार, बहुविवाह एक अपराध है। एडीएम राजनारायण शर्मा ने बताया कि कलेक्टर छुट्टी पर हैं और वह खुद किसी काम के सिलसिले में कोर्ट में हैं। हालांकि, उन्होंने मामले की छानबीन करने के लिए गांव का दौरा करने की बात कही है। हालांकि, एडीएम ने घटना के बारे में जानकारी होने की बात से इनकार किया। वहीं, जिला परिषद अध्यक्ष सुरेंद्र माहेश्वरी ने भी घटना को लेकर अनभिज्ञता जाहिर की है। मालूम हो कि कुछ दिनों पहले ही नीति आयोग ने लिंगानुपात पर रिपोर्ट जारी की है, जिसमें हालात के बेहद चिंताजनक होने की बात सामने आई है। आयोग की रिपोर्ट में 21 बड़े राज्यों में से 17 में जन्म के समय लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई है। गुजरात की हालत सबसे चिंताजनक पाई गई। नीति आयोग ने ‘स्वस्थ भारत, प्रगतिशील भारत’ नाम से रिपोर्ट जारी की। गुजरात के बाद सबसे खराब स्थिति हरियाणा की है। इसके बाद राजस्थान, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक का नंबर आता है।